दिल्ली में चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. यह घोषणा पत्र विशाल है और दिल्ली से जुड़े हर पहलू पर प्रकाश डालने की कोशिश करता है.
इसमें महिला सुरक्षा से लेकर वो तमाम वादे शामिल हैं जो उन्होंने अपने पिछले घोषणा पत्र में किए थे, मसलन मुफ्त पानी, सस्ती बिजली, जनलोकपाल बिल वगैरह. इसमें दिल्ली को पूर्ण दर्जा दिलवाने की भी बात है. इस घोषणा पत्र में पार्टी ने कोई भी ऐसी चीज नहीं छोड़ी है जिसका दिल्ली से वास्ता है. बदहाल स्कूलों को सुधारने से लेकर 500 नए स्कूल और 20 नए कॉलेज खोलने की भी इसमें बात कही गई है. इसके अलावा इसमें गांवों के विकास और यमुना की साफ-सफाई की भी बात कही गई है. यानी कोई भी विषय नहीं छोड़ा गया है.
केजरीवाल सरकारी कर्मचारियों को लुभाने के लिए तरह-तरह की घोषणाएं भी करते नज़र आए मसलन उनके लिए कैशलेस स्कीम और उनकी उम्र का मामला. केजरीवाल को मालूम है कि दिल्ली में केन्द्र और राज्य सरकार के लाख से भी ज्यादा कर्मचारी रहते हैं और उन्हें लुभाना जरूरी है खासकर यह देखते हुए कि वह खुद नई दिल्ली विधान सभा सीट से खड़े हैं जहां सरकारी कर्मचारी बड़े पैमाने पर रहते हैं. दिल्ली में तकरीबन पांच लाख व्यापारी या कारोबारी रहते हैं और उनके लिए भी उन्होंने अपने घोषणा पत्र में जगह रखी है. उनकी परेशानी है वैट और उससे संबंधित छापेमारी.
केजरीवाल ने उनकी चोट को सहलाने की कोशिश की है. केजरीवाल का दावा है कि यह घोषणा पत्र चार महीनों की मेहनत का फल है. ज़ाहिर है जब इतने सारे वादे किए जाने हैं तो इसमें इतना वक्त तो लगता ही. लेकिन यह घोषणा पत्र पढ़कर एक बात तो साफ लगती है कि केजरीवाल अपने प्रतिद्वंद्वियों के लिए कोई भी मुद्दा नहीं छोड़ना चाहते और इसलिए उन्होंने उनके लिए कुछ छोड़ा ही नहीं. और इसलिए वह अपने मूल उद्देश्य से भटकते दिख रहे हैं. उनकी जंग भ्रष्टाचार के खिलाफ ही शुरू हुई थी और उस कारण से ही वह जाने गए लेकिन इस घोषणा पत्र में उसकी कोई खास चर्चा नहीं है. दिल्ली आजतक के चुनावी सर्वे में यह बात साफ तौर पर सामने आई है कि यहां भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है.
लेकिन केजरीवाल एक कुशल राजनीतिज्ञ की तरह इस बारे में ज्यादा बोलने से बच रहे हैं. उन्हें मालूम है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ बात छेड़ने से सरकारी कर्मचारियों का एक वर्ग आशंकित हो जाएगा.
लेकिन एक बात यह है कि आखिर इतने सारे वादे पूरे करने के लिए धन कहां से आएगा? जितने वादे उन्होंने किए हैं उन्हें पूरा करने के लिए जितना धन चाहिए वह कैसे जुटाया जाएगा, इस बारे में उन्होंने चुप्पी साधे रखी है. दिल्ली एक छोटा सा राज्य है और इसके पास राजस्व उगाहने के स्रोत बहुत कम हैं और केजरीवाल वैट घटाने की भी बात कर रहे हैं. ऐसे में यह समझना मुश्किल है कि धन कैसे जुटाया जाएगा.
केजरीवाल ने एक बेहद लुभावना घोषणा पत्र तो जारी किया लेकिन उसके पीछे की ठोस सच्चाइयों से वह किनारा कर गए जो आगे जाकर उनके लिए जी का जंजाल बनेंगी.