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मुस्लिमों ने बिगाड़ा कांग्रेस का चुनावी गणित

कांग्रेस का चुनावी गणित गड़बड़ा गया है. उसने अंदाजा लगाया था कि मुसलमान उसे चुनाव में वोट देंगे लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है. उसका मानना था कि नरेंद्र मोदी हिन्दूवादी नेता हैं और उनका मुकाबला करने में मुसलमान पार्टी का साथ देंगे. लेकिन आम आदमी पार्टी ने उनका गणित बिगाड़ दिया है.

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पोलिंग बूथ पर एक अल्पसंख्यक मतदाता
पोलिंग बूथ पर एक अल्पसंख्यक मतदाता

कांग्रेस का चुनावी गणित गड़बड़ा गया है. उसने अंदाजा लगाया था कि मुसलमान उसे चुनाव में वोट देंगे लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है. उसका मानना था कि नरेंद्र मोदी हिन्दूवादी नेता हैं और उनका मुकाबला करने में मुसलमान पार्टी का साथ देंगे. लेकिन आम आदमी पार्टी ने उनका गणित बिगाड़ दिया है.

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अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' ने खबर दी है कि गुरुवार को हुए चुनाव में यह देखने को आया कि मुसलमान पूरी तरह से कांग्रेस के साथ नहीं हैं. उनके लिए पार्टी पहली पसंद नहीं है. यह बात उन सीटों में भी देखी जा रही है जहां कांग्रेस मजबूत है. पार्टी को उम्मीद थी कि वोटर धर्म के आधार पर जब बटेंगे तो मुसलमान कांग्रेस को वोट देंगे.

दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से मिले संकेत इस बात के सबूत हैं कि अगले हफ्तों में होने वाले महत्वपूर्ण वोटिंग का क्या पैटर्न होगा. मिडिल क्लास के लोग कांग्रेस के साथ नहीं हैं और उस कमी को पार्टी मुस्लिम वोटों से भरना चाहती है. लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है.

मोदी अब मुसलमानों के वोटिंग पैटर्न को तय कर रहे हैं. यानी वे मोदी के खिलाफ कांग्रेस की बजाय उस उम्मीदवार को वोट दे रहे हैं जो बीजेपी को चुनौती देता दिख रहा है. इस कारण मुस्लिम मतदाता कांग्रेस को समर्थन देने के बारे में फिर से सोच रहे हैं. हालत यह है कि जिन सीटों पर कांग्रेस मजूबत है वहां भी ऐसी भावना दिख रही हैं. अभी गाज़ियाबाद, चांदनी चौक और उत्तर-पूर्व दिल्ली में मुस्लिम वोट ही मतदाताओं का भाग्य तय करेंगे. लेकिन कांग्रेस को उनसे अब उम्मीद नहीं है.

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कांग्रेस उन तथाकथित सेकुलर पार्टियों के सामने बेबस दिख रही है जो मोदी के खिलाफ कट्टर भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. पार्टी सपा और बसपा के नेताओं की तरह उन पर हमले नहीं कर सकती. हालांकि उनके ही एक उम्मीदवार ने मोदी के टुकड़े-टुकड़े करने की बात कही थी.

कांग्रेस को लग रहा है कि गाजियाबाद में आजम खान ने करगिल के बारे में जो बयान दिया था वह एक साजिश का हिस्सा है. खान ने कहा था कि करगिल युद्ध हिन्दू सैनिकों ने नहीं मुस्लिम फौजियों ने जिताया था. इससे वहां धार्मिक आधार पर वोटर बंट गए. हिन्दू वोटर बीजेपी की ओर चले गए. इसका नतीजा यह हुआ कि वहां से खड़े कांग्रेस के उम्मीदवार राज बब्बर की हालत पतली हो गई जबकि पहले वह काफी मजबूत थे. समाजवादी पार्टी यहां मजबूत नहीं थी, लेकिन ऐसा करके उन्होंने कांग्रेस को कमजोर कर दिया. कांग्रेस की संभावनाओं में पलीता लगाकर उन्होंने एक तरह की जीत हासिल की है.

अब अगले चरण की वोटिंग के लिए कांग्रेस को बहुत उम्मीद नहीं है. उसे मुस्लिम वोटों के उसके पक्ष में जाने की आशा नहीं है. पार्टी के नेताओं को लग रहा है कि मुस्लिम वोटरों के मामले में आम आदमी पार्टी उसकी संभावनाओं को बहुत क्षति पहुंचा रही है.

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