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नगालैंड में गठबंधन सरकार से ज्यादा 2 महिला विधायकों की हो रही खूब चर्चा, जानिए क्या है वजह

नगालैंड में बीजेपी एनडीपीपी गठबंधन की सरकार बनने जा रही है. राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से एनडीपीपी ने 25 तो बीजेपी ने 12 जीतों पर जीत हासिल कर ली है लेकिन इस चुनाव में एनडीपीपी की दो महिला विधायकों हेकानी जखालु और सलहौतुओनुओ क्रूस की खूब चर्चा हो रही है.

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NDPP की विजेता महिला उम्मीदवार सलहौतुओनुओ क्रूस (बाएं) और हेकानी जखालु (फाइल फोटो)
NDPP की विजेता महिला उम्मीदवार सलहौतुओनुओ क्रूस (बाएं) और हेकानी जखालु (फाइल फोटो)

नगालैंड में गुरुवार को विधानसभा चुनाव के परिणाम जारी हो गए. इस चुनाव में यहां की जनता ने पहली बार दो महिला उम्मीदवारों को चुनकर इतिहास रच दिया. बीजेपी की सहयोगी एनडीपीपी (सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी) की उम्मीदवार हेकानी जखालु ने दीमापुर-तृतीय सीट तो सलहौतुओनुओ क्रूस ने पश्चिमी अंगामी सीट पर बाजी मार ली यानी अब नगालैंड में दो महिला विधायक हो गईं.

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इस बार विधानसभा चुनाव में 183 उम्मीदवार मैदान में थे. इनमें से चार महिला उम्मीदवार भी थीं. हेकानी जखालु, क्रूस के अलावा तेनिंग सीट पर कांग्रेस की रोजी थॉम्पसन और अटोइजू सीट से भाजपा की काहुली सेमा भी मैदान में थीं. 

जाखलु ने अमेरिका से वकालत की पढ़ाई की है. वह सामाजिक उद्यमी और यूथनेट की संस्थापक हैं. उन्हें अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति से नारी शक्ति पुरस्कार भी मिला चुका है. वह इस बार नगालैंड की महिलाओं के लिए एक उम्मीद लेकर आई हैं. हेकानी जखालु ने लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के उम्मीदवार एजेतो झिमोमी को मात दी. वहीं सल्हौतुओनुओ क्रूस एक स्थानीय होटल की मालिक हैं. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार केनेइझाखो नाख्रो के खिलाफ चुनाव लड़ा था. 

सीट नहीं महिलाओं के लिए थी लड़ाई: जखालु

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60 साल में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि विधानसभा में किसी महिला को जीत मिली हो. इंडिया टुडे से बात करते हुए जखालु ने कहा, "मैं बहुत भाग्यशाली हूं. यह सिर्फ एक सीट के लिए लड़ाई नहीं थी. यह महिलाओं के लिए लड़ाई थी. यह पहली बार है जब हमारी विधानसभा में महिला उम्मीदवार शामिल होंगी. यह चुनाव महिलाओं के लिए ऐतिहासिक है. अब महिलाओं के लिए दरवाजे खुल गए हैं, वे दूसरी महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन सकती हैं. वे बड़े सपने भी देख सकते हैं."

नगालैंड को 1963 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था और तब से कोई महिला विधायक नहीं बन सकी. ऐसा नहीं है कि वहां महिलाओं ने कभी चुनाव नहीं लड़ा लेकिन वह कभी चुनाव ही नहीं जीत सकीं. उन्होंने कहा "नागा समुदाय बहुत पितृसत्तात्मक था. महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को लेकर पहले शहरी निकायों में नाराजगी हुआ करती थी.

राजनीति में अपने नजरिए के बारे में उन्होंने कहा, "सबसे पहले मैं नगालैंड में महिलाओं की स्थिति का अध्ययन करना चाहती हूं. विशेष रूप से मैं बालिकाओं, युवाओं और रोजगार के लिए काम करना चाहती हूं. मेरे लिए पहले मैपिंग करना जरूरी है." उन्होंने यह भी कहा, "मुझे इस तरह के अवसर देने के लिए मैं एनडीपीपी की आभारी हूं. मुझ पर महिलाओं के लिए लड़ने का दबाव था इसलिए महिला रोजगार के लिए काम कर सकती हूं."

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आज हमने इतिहास रच दिया: क्रूस

दूसरी ओर, सल्हौतुओनुओ क्रूस ने अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया, "आज, हमने इतिहास रचा है! यह महत्वपूर्ण जीत हमारी है. मैं इस जीत का श्रेय सर्वशक्तिमान ईश्वर और पश्चिमी अंगामी के अपने नागरिकों को देती हूं. सभी ने मुझे जो समर्थन दिया है, उसके लिए मैं बहुत आभारी हूं. मेरी जीत को संभव बनाने के लिए धन्यवाद. मैं आपकी सेवा के लिए तत्पर हूं."

अब तक दो महिलाएं बन सकीं सांसद 

नगालैंड में अब तक दो महिलाएं ही सांसद चुनी गई हैं. साल 1977 में रानो मेसे शाजिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के टिकट पर जीत हासिल कर लोकसभा सदस्य चुनी गई थीं. वह नगालैंड से संसद पहुंचने वाली पहली महिला थीं. उसके बाद, पिछले साल बीजेपी ने नगालैंड से राज्यसभा सदस्य के रूप में एस. फांगनोन कोन्याक को नामित किया था, जिसके साथ ही नगालैंड से कोई दूसरी महिला संसद पहुंची.  

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