भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी दो सीटों से चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं. पार्टी सूत्रों की मानें तो यह लगभग तय हो चुका है कि मोदी वाराणसी के साथ गुजरात की वडोदरा सीट से भी चुनाव लड़ेंगे. बीजेपी की आज केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक है जिसके बाद मोदी को वडोदरा से प्रत्याशी घोषित किया जा सकता है.
गांधीनगर नहीं, भोपाल से लड़ना चाहते हैं आडवाणी: सूत्र
इसी बैठक के बाद बीजेपी अपने प्रत्याशियों की पांचवी सूची जारी करेगी. इसमें गुजरात के प्रत्याशियों का भी ऐलान किया जाएगा, जिसके बाद साफ हो जाएगा कि वरिष्ठ बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी कहां से चुनाव लड़ेंगे. सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, आडवाणी गांधीनगर से नहीं, मध्य प्रदेश के भोपाल से चुनाव मैदान में उतरने के इच्छुक हैं. बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश बीजेपी ने उन्हें ऐसा प्रस्ताव दिया है. आडवाणी ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के रामलाल से कहा है कि उन पर भोपाल से चुनाव लड़ने का दबाव है, बाकी पार्टी जो फैसला करेगी उन्हें मंजूर होगा.
गुजरात बीजेपी ने भेजी है सिफारिश
दरअसल, गुजरात की राज्य समिति ने 26 नामों पर अंतिम सिफारिश पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति को भेजी है. इसमें गांधीनगर से आडवाणी का नाम और गुजरात की एक सीट से मोदी को लड़ने का प्रस्ताव है. संकेत है कि मोदी वडोदरा या अहमदाबाद पूर्व सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. पिछले लोकसभा चुनावों में आडवाणी समेत सिर्फ तीन सांसदों की उम्मीदवारी बरकरार रखी गई थी. 26 में से 23 उम्मीदवार बदल दिए गए थे.
केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में गुजरात की 26 सीटों के अलावा राजस्थान से 25 सीटों, पंजाब में एक गुरदासपुर की सीट जिसके लिए विनोद खन्ना दावेदार हैं, बिहार की 3 सीटों- झंझारपुर, सुपौल और बक्सर, महाराष्ट्र की 3 सीटों, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और हरियाणा की सीटों पर भी आखिरी फैसला होगा. मध्य प्रदेश की 5 सीटें बचीं हैं जिसमें भोपाल की सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं हुआ है. राजस्थान से जसवंत सिंह बाडमेर, वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह झालावाड़ और राज्यवर्धन सिंह राठौर जोधपुर से संभावित उम्मीदवार हैं.
यूपी में टिकट बंटवारे पर विरोध
उत्तर प्रदेश में भी 54 सीटों के ऐलान के बाद भी 26 सीटों पर पेंच फंसा हुआ है. गाजियाबाद सीट से जनरल वी के सिंह की उम्मीदवारी तय है लेकिन जिले में पार्टी के भीतर ही उनका जम कर विरोध हो रहा है. कांग्रेस से पाला बदलने को तैयार बैठे जगदंबिका पाल को लेकर भी डुमरियागंज सीट से बातचीत अंतिम रूप नहीं ले पाई है. लेकिन, उनकी उम्मीदवारी तय मानी जा रही है. वहीं, अयोध्या और काशी का मसला बीजेपी ने भले ही सुलझा लिया हो लेकिन मथुरा में पेंच फंसा ही हुआ है. जंग श्रीकांत शर्मा और अरुण सिंह के बीच चल ही रही थी कि आलाकमान ने 'ड्रीम गर्ल' हेमा मालिनी के नाम पर चर्चा शुरू कर दी. आखिर हर सीट पर जीतने वाले उम्मीदवार की जरुरत जो है, इसके लिए उम्मीदवार भले ही बाहर से क्यों न लाना पड़े.