scorecardresearch
 

मुजफ्फरपुर रैली में मोदी ने कहा, मैं समस्‍याओं का हल ढ़ूंढ रहा हूं और विरोधी मेरा हल ढूंढ रह

बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने मुजफ्फरपुर में रैली में कहा कि उनकी पटना रैली के दौरान हुए बम ब्लास्ट राजनीतिक द्वेष के चलते कराए गए थे.

Advertisement
X
नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने बिहार के मुजफ्फरपुर में अपने विरोधियों पर जमकर निशाना साधा. उन्‍होंने कहा कि विरोधी मोदी का हल ढूंढ रहे हैं. उन्‍होंने कहा, 'मैं देश की समस्‍याओं का हल ढूंढ रहा हूं और विरोधी मोदी का हल ढूंढ रहे हैं'.

इसी के साथ नरेंद्र मोदी ने हुंकार रैली में नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोला. लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे मोदी ने बिहार में अपनी दूसरी रैली को संबोधित करते हुए विकास और आतंकवाद के मसले पर बिहार सरकार को घेरने की कोशिश की.

Advertisement

मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में भोजपुरी में दो शब्द भी बोले. मोदी ने कहा कि उनकी पटना रैली के दौरान हुए बम ब्लास्ट राजनीतिक द्वेष के चलते कराए गए थे. मोदी ने कहा, 'मैं 27 अक्टूबर को पटना आया था. मेरा बिहार ने जिस प्रकार सम्मान किया. उसे मैं अपना अहोभाग्य मानता हूं. लेकिन उसी समय राजनीतिक द्वेष के कारण निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. एक के बाद एक बम धमाकों ने पटना की धरती को लहूलुहान कर दिया. वो बम धमाके के घाव भारत के लोकतंत्र के सीने पर लगे थे. हिंदुस्तान के भाईचारे पर, एकता और सद्भावना पर लगे थे. लेकिन कोई कितनी भी कोशिश क्यों न कर ले. बिहार की जनता ने ठान ली है. इतने बड़े हमले के बाद भी शांति, एकता और भाईचारे के दर्शन ने बिहार की जनता ने करवाए हैं. मैं इस धरती को नमन करता हूं.'

Advertisement

बीजेपी नेताओं को सुरक्षा न दो, मगर बेगुनाहों को मत मारो
मोदी ने कहा, 'मेरे मन में विचार आता है, किसी को भाजपा या मेरे खिलाफ ऐतराज हो सकता है. मगर उनका लोकतंत्र में कैसा विश्वास, वो तो ये सोचते हैं कि अच्छा होगा इन धमाकों में इनका खेल पूरा हो जाए. भाजपा नेताओं को सुरक्षा मिले या न मिले. बेगुनाह लोगों को क्यों मारा जाए. मरने वाले भी तो मेरे ही बिहार के भाई बहन हैं. मगर वोट बैंक की राजनीति में डूबे लोग इस दर्द को नहीं समझ सकते. ऐसी विचारधारा, ऐसे राजनेता, उनसे जितना जल्दी मुक्ति मिले, उतना ही देश का भला होने वाला है.'

पटेल की मूर्ति में योगदान के लिए धन्यवाद
एक और चीज के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं. हमने आह्वान किया था सरदार पटेल का सबसे ऊंचा स्मारक बनाने का. मैंने आग्रह किया था कि आपके खेत में इस्तेमाल हुए लोहे के औजार मुझे दे दीजिए. उसी से सरदार पटेल की मूर्ति बनेगी, ताकि देश की एकता का संदेश जाए. मैं बिहार का आभारी हूं. आपने गांव गांव इस भावना को पहुंचाया. सरदार पटेल के स्मारक में बिहार की भी मौजूदगी होगी.

मुजफ्फरपुर की धरती को नमन
मोदी ने कहा, 'आज हम आजादी की सांस ले रहे हैं, खुदीराम बोस जैसे वीर सपूतों ने अपनी बली चढ़ाई थी. इस धरती को मैं नमन करता हूं. भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र बाबू यहां से थे. यहां से हमारे जॉर्ज फर्नांडिस साहब सांसद रहे. ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी तबीयत जल्द ठीक हो और वे देश सेवा में फिर जुट जाएं. अटल जी की सरकार के दौरान उन्होंने हमारी मैथिली भाषा को संविधान सूची में देकर उसका सम्मान किया था.

Advertisement

अपनी रैली के बारे में मोदी ने कहा, 'ये हुंकार रैली है. किसी को नीचा दिखाने के लिए नहीं है ये हुंकार. ये हुंकार बुराई से मुक्ति के लिए है. आज क्या है देश का राजनीतिक चित्र. मैं हर जगह सबसे एक ही बात करता हूं. देश की समस्याओं का हल खोजने में लगा रहता हूं. यही मेरी प्राथमिकता है. और हमारे विरोधियों की प्राथमिकता है मोदी का हल ढूंढना. वे कभी भी देश का भला नहीं कर सकते.'

बढ़ रहा एनडीए का कुनबा
मैं जब एनडीए बोलता हूं तो दो रूप हैं. एक है नेशनल डेमोक्रेटिक अलांयस. दूसरा है, नेशनल डेवलपमेंट अलायंस. हमारा परिवार बढ़ रहा है. मैं रामविलास, भाई चिराग, उपेंद्र कुशवाहा जी और उनके सभी साथियों का एनडीए में स्वागत करता हूं. ये बढ़ने वाला है. रुकने वाला नहीं है. औरों की परेशानी भी उतनी ही बढ़ने वाली है. कहते हैं कि ये भाजपा वाले इनको हम बनियों, ब्राह्मणों की पार्टी कहते थे. पिछड़ी जाति के लड़कों को उन्होंने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया. चौंक गए सब.

लिखकर रखिए. आने वाला दशक हिंदुस्तान में दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों का, वंचितों के विकास का दशक होने वाला है. मैं आपको अपना इरादा साफ कर देता हूं.

माहौल बिगाड़ने के लिए बनते हैं थर्ड फ्रंट
क्या कांग्रेस और थर्ड फ्रंट ने किसी का भला कर दिया है. ये थर्ड फ्रंट वाले एक साल या छह महीने पहले कहीं नजर आते थे. ये चुनावी खिलाड़ी चुनाव के दौरान जागते हैं और फिर पांच साल सो जाते हैं. ये माहौल बिगाड़ सकते हैं. मगर देश का भला नहीं कर सकते. इसमें कौन सी पार्टी हैं. जो कांग्रेस को बचाने का काम करती रही हैं. कभी सीबीआई के चाबुक से डर, कभी कांग्रेस के लालच में फंस कर.

Advertisement

सिर्फ 23 फीसदी घरों में शौचालय
मोदी ने विकास के मसले पर भी नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा, 'आज भी जिस बिहार में भगवान बुद्ध और महावीर का स्मरण होता है. जयप्रकाश नारायण की भूमि रही. माताएं बहनें गौर से सुनें. क्या हमें पीड़ा नहीं होती कि आज भी करोड़ों बहनों को खुले में शौचालय जाना होता है. दिन में वह शौचालय नहीं जा सकतीं. रात का इंतजार करती हैं. उनके स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. क्या आजादी के साठ साल बाद उन्हें शौचालय मिलना चाहिए. मेरा किसी से राजनीतिक विरोध नहीं है. भीतर पीड़ा होती है, दर्द होता है करोड़ों करोड़ों बहनों का ये हाल देखकर. हमारे बिहार में सिर्फ 23 फीसदी घरों में शौचालय है.'

बिहार की सरकार आतंकवादियों पर नरम
आतंकवादियों को छिपने के लिए बिहार स्वर्ग भूमि लगने लगी है. क्योंकि बिहार सरकार वोट बैंक के चलते आतंकवादियों के लिए नरम है. आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए एक स्वर एक संकल्प होना चाहिए. राजनीति से ऊपर उठकर.

हिपोक्रेट हैं नीतीश कुमार
मैं रामविलास जी के लिए कहना चाहता हूं कि वह एनडीए छोड़कर विरोध की घोषणा कर गए. उसके बाद कहीं भी, कभी मिलना हुआ, प्यार से मिले. अखबार वालों ने अगर फोटो निकाली, तो डरे नहीं. हाथ में हाथ डालकर.

Advertisement

लेकिन, ऐसे नेता भी देखे हैं, कमरे में प्यार से बात करते हैं. भोजन की टेबल पर भी बैठते हैं. मगर पब्लिक में हाथ मिलाना हो, तो पसीना छूट जाता है. लोकतंत्र में विरोध हो सकता है. ये स्वभाव भी है. मगर हिपोक्रेसी के लिए कोई जगह नहीं होती. जनता गलतियों को माफ करती है, मगर हिपोक्रेसी को माफ नहीं करती.

चंपारण का चीनी उद्योग क्यों चौपट हुआ
सालों पहले मधुबनी जिले के एक सज्जन से परिचय हुआ. इतनी मीठी भाषा बोलते थे. बहुत अच्छा लगता था. एक तरफ इतनी बढ़िया मीठी भाषा, मैथिली. पर मीठे लोग ही मीठी भाषा बोल सकते हैं. कड़वे लोग नहीं बोल सकते.

ये हमारा चंपारण, जो कभी देश में चीनी का कटोरा माना जाता था. आज ऐसी क्या हालत हो गई कि देश का मुंह मीठा कराने वाले मिल बंद पड़े हैं. क्या स्थिति नहीं बदली जा सकती? कौन जिम्मेदार है, बर्बादी करने वाले ये लोग हैं. इन्हें परवाह नहीं है.

बिजली आती है, ये खबर है
बिजली नहीं आती. मोबाइल फोन लाते हैं. चार्जिंग के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता है. बिहार में बिजली जाती है, ये खबर नहीं है. बिजली आती है, ये खबर है. लोग बस में बात करते हैं. पिछले मंगल मेरे यहां आई थी. दूसरा कहता है कि हमारे यहां तो पिछले मंगल भी नहीं आई. नजदीक ही कोयले की खदान है. जब बिहार संयुक्त था, कोयले की खदान के ढेर पर पहुंचा था. मगर विकास की दृष्टि न होने के कारण सब चौपट हो गया.

Advertisement

क्या बिहार या दिल्ली की सरकार आपको रोजगार दे सकती है. क्या इसके बिना आपका जीवन चल सकता है. मैंने 2012 की जानकारी ली. बिहार में 8 लाख 50 हजार लोगों ने बेरोजगारी दफ्तर में रजिस्टर करवाया. विकास के दावे करने वाली सरकार ने इसमें सिर्फ 2 हजार को रोजगार दिया.

अगर ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर बनता तो आपको फायदा होता
मैं हेलिकॉप्टर से देख रहा था. इतनी विशाल भीड़. मीलों दूर से लोग आ रहे थे. अभी कुछ पहुंच भी नहीं पाए होंगे. अटल बिहारी वाजपेयी जी ने हिंदुस्तान को जोड़ने के लिए रास्तों के चतुष्पद की कल्पना थी. सौराष्ट्र से सिलचर तक ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर बनाने का काम शुरू किया था. वही रास्ता यहां से गुजरता है. अगर 2004 में अटल जी की सरकार बनी होती है. तो यहां से तेज गति से गाड़ी निकलतीं. विकास होता. अनेक राज्यों में ये मरा पड़ा है. जब यहां हमारे नंदकुमार जी थे, तो इन्होंने कुछ किया. फिर ठप पड़ गया. इसके लिए आपकी राज्य की और दिल्ली की सरकार जिम्मेदार है.

मुझे अटल जी का सपना पूरा करना है
इस इलाके में भरपूर पानी है. सबसे अच्छी जमीन है. मगर कभी बाढ़ में परेशान होते हैं, कभी उसके बाद बीमारियों के लिए परेशान होते हैं. वाजपेयी जी ने, जहां पानी नहीं, वहां पानी पहुंचाने का संकल्प किया था. जहां ज्यादा पानी है, वहां से निकासी का संकल्प किया था. वॉटर ग्रिड का सपना देखा था. मगर दिल्ली की सरकार ने उसे डिब्बे में बंद कर रखा है. हम वाजपेयी जी के सपने को पूरा करने के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं.

Advertisement

सेकुलरिज्म की फरेबी माला फेरते रहते हैं
पहले फैशन था. कुछ भी हो, कह दो विदेशी शक्तियों का हाथ है. फिर कहा जाने लगा, आईएसआई का हाथ है. मगर पिछले कुछ साल से देश में कुछ भी हो, सबने एक जड़ी बूटी हासिल कर ली है सत्ता पाने के लिए. उसका नाम है सेकुलरिज्म है. आप कहो, नौजवानों को रोजगार चाहिए, महंगाई ज्यादा है, गरीबों को खाना मिले, किसानों को परेशानी है. उनका सब पर एक ही जवाब, सेकुलरिज्म परेशानी में है. इनके पास बाकी मुश्किलों का जवाब नहीं. इसलिए सेकुलरिज्म के नाम की फरेबी माला फेरते रहते हैं. उनके लिए ये चुनावी नारा है. हमारे लिए हर संप्रदाय हमारा है.

आजादी का अमृत पर्व
1922 में देश की आजादी के 75 साल पूरे होंगे. उसके लिए मेरा सपना है कि देश के हर परिवार को घर मिले. वह भी ऐसा, जिसमें शौचालय हो. पानी का नल हो. नल में पानी आता हो. बिजली का कनेक्शन हो. जब देश आजादी का अमृत पर्व मनाएगा, तो हम ये कर दिखाएंगे. आप हमारा समर्थन करें, तो ये हम कर दिखाएंगे.

Advertisement
Advertisement