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नरेंद्र मोदी को मिला मुसलिमों का भी साथ!

गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत कई मायनों में अहम है क्योंकि इस जीत में उन्हें मुसलिम वोट भी मिले हैं. यानी वहां के मुसलमानों का एक वर्ग अब 2002 के दंगों की यादों से उबर कर बीजेपी के समर्थन में वोट दे रहा है.

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गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत कई मायनों में अहम है क्योंकि इस जीत में उन्हें मुसलिम वोट भी मिले हैं. यानी वहां के मुसलमानों का एक वर्ग अब 2002 के दंगों की यादों से उबर कर बीजेपी के समर्थन में वोट दे रहा है.

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इसका समर्थन इन आंकड़ों से भी होता है कि बीजेपी ने इस बार एक भी मुसलिम उम्मीदवार नहीं खड़ा किया लेकिन जिन 19 सीटों पर मुसलिम बहुलता है उनमें से 12 बीजेपी के खाते में गई हैं. दूसरी ओर कांग्रेस ने भी केवल चार मुसलिम उम्मीदवार चुनाव में उतारे थे जिनमें से दो जीते.

कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल के गढ़ भरूच की पांचों सीटें बीजेपी ने अपने खाते में दर्ज कर लिया है. जबकि अहमदाबाद और उसके आसपास की 21 सीटों में 17, सूरत की 16 में 15 और वडोदरा की 13 में 11 सीटों पर भी बीजेपी को अपार सफलता मिली है. इस बार दक्षिण व मध्य गुजरात जहां ज्यादातर सीटें मुसलिम बहुल हैं वहां भी मोदी का प्रभुत्व दिखा.

कच्छ की तीनों सीटें बीजेपी ने जीती तो जमालपुर, लिंबायत, दरियापुर और अबडासा विधानसभा क्षेत्र जहां मुसलमान मतदाताओं की संख्या निर्णायक होती है वो भी बीजेपी के खाते में गई हैं. मोदी ने अपनी सद्भावना उपवास और चुनावी यात्रा के दौरान सभी वर्गों से राज्य में विकास के मुद्दे पर मुहर लगाने की अपील की थी.

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सौराष्ट्र के वेरावल से समुद्री व्यंजनों के निर्यातक इकबाल केसोड़वाला ने भी स्पष्ट तौर पर इस बात का समर्थन किया है. उनका कहना है कि यह मोदी जी के सब को साथ लेकर चलने की राजनीति का ही प्रभाव है कि मुसलिम समुदाय ने उनका खुलकर समर्थन किया है. वो कहते हैं कि इस गुजरात में समुदाय को कांग्रेस से अपने हितों की रक्षा करने में निराशा झेलनी पड़ी है.

केसोड़वाला कहते हैं, ‘कांग्रेस ने मुसलिम समुदाय के लिए वास्तविक तौर पर बगैर कुछ किए इनका केवल राजनीतिक इस्तेमाल किया है. अब इस समुदाय को नरेंद्र मोदी की सबको साथ लेकर चलने की राजनीति से उम्मीदें हैं.’

उन्होंने विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से एक भी मुसलिम उम्मीदवार नहीं उतारने का भी बचाव किया और कहा कि पार्टी पहले इस चुनाव में तीन मुसलिम उम्मीदवारों को उतारना चाहती थी लेकिन केशुभाई पटेल की गुजरात परिवर्तन पार्टी (जीपीपी) के सक्रिय होने के बाद इस पर दोबारा विचार किया गया.’

केसोड़वाला ने कहा, ‘असल में स्थिर कानून-व्यवस्था की वजह से राज्य के मुसलिमों को आगे बढ़ने का समान अवसर मिल रहा है और उनका बिजनेस भी बिना किसी रुकावट तरक्की की राह पर है.’

गुजरात में बीजेपी का नया मुसलिम चेहरा आसिफा खान ने भी इस बात की तसदीक की. उन्होंने कहा, ‘गुजरात की मुसलिम जनता ने मोदी जी के सब को साथ लेकर चलने की राजनीति पर प्रतिक्रिया दी है और वो अब 2002 की घटनाओं से आगे बढ़ कर बीजेपी के लिए वोट कर रहे हैं.’

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