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बिहार में राजग की धुंआधार प्रचार की योजना, मोदी की 20 से अधिक रैली

बिहार के चुनावी मैदान में जदयू-राजद गठबंधन से कड़ी चुनौती का सामना कर रही भाजपा नीत राजग गठबंधन ने 500 से अधिक रैलियों के माध्यम से अभियान चलाकर धुंआधार प्रचार का निर्णय लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकेले 20-22 बड़ी सभाओं को संबोधित करेंगे.

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बिहार के चुनावी मैदान में जदयू-राजद गठबंधन से कड़ी चुनौती का सामना कर रही भाजपा नीत राजग गठबंधन ने 500 से अधिक रैलियों के माध्यम से अभियान चलाकर धुंआधार प्रचार का निर्णय लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकेले 20-22 बड़ी सभाओं को संबोधित करेंगे.

मोदी अनुभवी प्रचारक होने के साथ-साथ बिहार चुनाव में गठबंधन का चेहरा हैं क्योंकि मुख्यमंत्री पद के लिए किसी का नाम आगे नहीं किया गया है. आयरलैंड और अमेरिका की यात्रा करने के बाद 29 सितंबर को भारत पहुंचने के दो दिन बाद ही मोदी चुनाव प्रचार में जुट जाएंगे.

सभी ओपिनियन पोल के अनुसार बिहार में आर-पार के मुकाबले की उम्मीद है. दिल्ली विधानसभा में मिली हार के बाद भाजपा किसी भी हालत में यह चुनाव जीतना चाहती है. बिहार में जीत से सरकार को बहुप्रतीक्षित जीएसटी समेत सुधार के अन्य एजेंडों को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. मोदी के प्रति बिहार में काफी आकषर्ण है. ऐसे में वे करीबी मुकाबले में राजग गठबंधन को बढ़त दिला सकते हैं.

मोदी पहले ही बिहार में चार रैलियां कर चुके हैं. वह विदेश दौरे के बाद दो अक्टूबर को बांका में और चार अक्टूबर को लखीसराय में जनसभा को संबोधित करेंगे. इन दोनों क्षेत्रों में 12 अक्टूबर को पहले चरण में चुनाव होना है. भाजपा नेता अपने सहयोगी दलों लोजपा, रालोसपा और हम (सेक्यूलर) के नेताओं के साथ संयुक्त अभियान चलाएंगे

सूत्रों ने बताया कि करीब 500 रैलियों की योजना है. इन रैलियों को राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेता संबोधित करेंगे. राजग के सूत्रों ने बताया कि नीतीश-लालू गठबंधन पिछड़ी जाति का कार्ड खेल रहा है. राष्ट्रीय स्वयंसंघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल में आरक्षण की समीक्षा को लेकर एक बयान दिया था जिसके बाद इन दोनों ने अपने अभियान को उस दिशा में और तेज कर दिया. ऐसे में मोदी के अति पिछड़ा वर्ग से आने और विकास को लेकर उनके एजेंडे से इसके प्रभाव को कम करने का प्रयास किया जा रहा है.

मंडल के बाद बिहार में आरक्षण संवेदनशील मुद्दा रहा है और किसी भी तरह का जातिगत ध्रुवीकरण भाजपा विरोधी गठबंधन के लिए मददगार साबित होगा. लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत मिलने के बावजूद भाजपा बांका सीट नहीं जीत पायी.

ऐसे में पार्टी इस क्षेत्र में जीत के लिए नयी जमीन तैयार करने में लगी है. दोनों प्रतिद्वंद्वी गठबंधनों ने कुछ सीटों को छोड़कर लगभग सभी पर जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. बिहार में 12 अक्तूबर से पांच नवंबर तक पांच चरणों में विधानसभा चुनाव होना है. मतों की गिनती आठ नवंबर को होगी.

इनपुट: IANS

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