बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने के दौरान नीतीश कुमार ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए उस पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि पार्टी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का अनुसरण करना ही है, ‘जो कि उसका सुप्रीम कोर्ट’ है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन में शामिल जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के उम्मीदवारों की संयुक्त लिस्ट जारी की. इस दौरान उन्होंने कहा कि इसमें 55 ओबीसी, 15 फीसदी अनुसूचित जाति-जनजाति, 14 फीसदी अल्पसंख्यकों और 16 फीसदी सामान्य वर्ग का प्रतिनिधित्व है. गठबंधन ने कुल 25 महिलाओं को टिकट दिया है जो कुल सीटों का दस फीसदी है.
मोहन भागवत के बयान पर उठाए सवाल
नीतीश ने साफ संकेत दिए कि बीजेपी विरोधी धर्मनिरपेक्ष गठबंधन के प्रचार का मुख्य जोर पिछड़े वर्गों की राजनीति पर होगा. उन्होंने आरएसएस के मुखपत्र 'पांचजन्य' और ‘आर्गनाइजर’ में छपे संघ प्रमुख के इंटरव्यू के कुछ हिस्सों को पढ़ते हुए कहा, ‘यह स्पष्ट है कि वह (मोहन भागवत) महसूस करते हैं कि आरक्षण की मौजूदा नीति सही नहीं है और वह कुछ अन्य व्यवस्था चाहते हैं.’ हाल ही में प्रकाशित इस इंटरव्यू में भागवत ने आरक्षण नीति की समीक्षा का सुझाव दिया है, जिसको लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है.
नाराज लोगों ने किया प्रदर्शन
उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने के तत्काल बाद बड़ी संख्या में लोगों ने जेडीयू ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया और शिकायत की कि उनकी पसंद के लोगों को टिकट नहीं दिए गए. नीतीश कुमार और अन्य नेता पार्टी ऑफिस में मौजूद थे जबकि बाहर नारेबाजी चल रही थी. स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह और पशुपालन मंत्री बैद्यनाथ साहनी को छोड़कर नीतीश कुमार मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों को टिकट दिए गए हैं.
कांग्रेस ने बीजेपी की टक्कर में उतारे उम्मीदवार
सूची पर बारीक नजर डालने पर पता चलता है कि कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार शहरी क्षेत्रों की अधिकतर सीटों पर उतारे हैं जो लंबे समय से बीजेपी के पास रही हैं.