बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वह उनके साथ थे तो उनकी नजरों में 'पीएम मैटेरियल' थे, लेकिन अब अलग हो गए तो किसी काम के नहीं रहे.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा की मूर्ति का अनावरण करते हुए नीतीश ने प्रधानमंत्री की ओर से उनके डीएनए पर सवाल उठाने पर उन्हें खुला पत्र लिखा है, जिसके जवाब का उन्हें इंतजार है.
'हमारे DNA में आजादी की लड़ाई के मूल्य'
नीतीश ने गुरुवार को फिर कहा कि मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर डीएनए वाली बात वापस लेने की अपील की है.' उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री की टिप्पणी देश के सर्वोच्च पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है. हमारा डीएनए वही है जो बिहार के लोगों का है. हमारा डीएनए अलग नहीं है. हमारे डीएनए में स्वतंत्रता संग्राम के मूल्य हैं. यह शब्द देश के सर्वोच्च पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है इसलिए इसे वापस लिया जाए. इससे बिहार के लोगों की भावनाए आहत हुई हैं.'
उन्होंने कहा, 'मैंने तो प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है बीजेपी या एनडीए से कुछ कहा नहीं. इनकी तो कोई मर्यादा है नहीं. कल साथ थे तो पीएम मैटेरियल थे, अब अलग हो गए तो किसी काम के नहीं हैं. हम तो उनकी बातों पर ध्यान ही नहीं देते.'
'हमने विनम्रता कायम रखी है'
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, 'हमारे खून और दिल और दिमाग में आजादी की लड़ाई के मूल्य हैं जो हमारे राष्ट्र के नागरिकों ने स्थापित किए हैं. उनके पुरखों ने तो आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया नहीं. इसलिए उनसे कोई उम्मीद नहीं है.' उन्होंने कहा कि मैंने पत्र में प्रधानमंत्री से यह नहीं कहा कि आप माफी मांगिए. मैंने अपने पत्र में संस्कार कायम रखा वो संस्कार है- विनम्रता का. हमने उसे कायम रखा है.
नीतीश ने हाल में मोदी के साथ मंच साझा करने पर भी सफाई दी. उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री के नाते जो मेरा दायित्व है हम उसे निभाते हैं. पार्टी के लोग कहते थे कि हमने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि वह बिहार आते तो उन्हें रिसीव करना पड़ता. लेकिन जब वह आए तो हम जाकर मिले भी और उन्हें रिसीव भी किया और मुजफ्फरपुर में उनके भाषण को सुनने के बाद उन्हे सीऑफ भी किया.'