लालू यादव के चुनाव में अकेले पड़ने की संभावना से विरोधियों की बांछें खिल गई हैं. कांग्रेस के झटका देने की मंशा को भांपते ही लालू ने शनिवार को साफ कर दिया कि अब कांग्रेस को गठबंधन में आना है तो उनकी शर्तों पर आना होगा.
पटना में लालू ने कांग्रेस के लिए 11 सीट और एनसीपी के लिए 1 सीट छोड़ने की बात कहकर गेंद कांग्रेस के पाले मे डाल दी है, जिसे अब लालू का कांग्रेस को बाय-बाय माना जा रहा है. उधर बीजेपी के बाद अब जेडीयू ने भी अपने गठबंधन को पुख्ता करने की कोशिश की है और लेफ्ट पार्टियों के बीच गठबंधन को हरी झंडी मिल गई है.
12 घंटों में मीडिया से दो बार बातें कर लालू ने अपनी ओर से जता दिया कि अब गठबंधन की आस लगभग खत्म हो गई है. शुक्रवार देर रात पटना लौटते ही लालू ने गठबंधन की जगह लठबंधन कर कहकर साफ कर दिया था कि अब सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है. वहीं शनिवार सुबह लालू ने कांग्रेस की तरफ आखिरी दांव फेंका और कहा कि अगर गठबंधन में आना है तो उनके लिए 11 सीटें हैं, चाहें तो ले लें.
पासवान के बाद लालू, कांग्रेस से भी झटका खाने के मूड में नहीं थे, पहले से ही कांग्रेस की रूखाई से पार्टी का बड़ा वर्ग नाराज था, लालू को कांग्रेस का झटका उन्हें किनारे लगाने के लिए काफी था. ऐसे में मौके को भांपकर लालू ने अपनी ओर से ही कांग्रेस से दूरी बना ली.
जेडीयू और लेफ्ट पार्टी के बीच गठबंधन लगभग तय हो चुका है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस 37 और सीपीआई-सीपीएम 3 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. इसकी तस्दीक खुद कांग्रेस अध्यक्ष ने कर दी. एक तरफ बीजेपी का गठबंधन तीन पार्टियों से है, तो नीतीश के पास भी लेफ्ट पार्टियां होंगी, लेकिन लालू फिलहाल अकेले पड़ते दिख रहे हैं. पासवान के बाद कहीं कांग्रेस झटका ना दे-दे इस खौफ ने लालू को एकतरफा फैसला लेने पर लगभग मजबूर कर दिया.