इस बार लोकसभा चुनाव के नतीजे कई मायने में एकदम चौंकाने वाले रहे. चुनाव में इस बार यूपी से कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सका. यह बात सियासी पंडितों को भी हैरत में डालने वाली है.
किस पार्टी ने उतारे कितने मुस्लिम उम्मीदवार...
इस बार यूपी में समाजवादी पार्टी ने 14, बहुजन समाज पार्टी ने 19 और कांग्रेस ने नौ मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए थे. इनमें से ज्यादातर सीटें मुस्लिम बहुल इलाकों की ही थीं. इसके बावजूद कोई मुसलमान यहां से लोकसभा का रास्ता पकड़ने में कामयाब नहीं हो सका.
मोदी के विकासवादी एजेंडे को मिला भाव
यूपी में नरेंद्र मोदी की ऐसी लहर चली कि बीजेपी ने प्रदेश की 80 में से 73 सीटों पर कब्जा जमा लिया. सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने वाली बीजेपी ने किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था. जनता ने मोदी और उनके विकास के एजेंडे को तरजीह देने का बेहतर समझा.
अब तक तो मुस्लिम समुदाय के लोगों को सियासतदान वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करते आए हैं, पर ऐसी सोच वालों को एक बार फिर से अपनी नीतियां तय करनी पड़ेंगी. देश के इतिहास में ऐसा पहली बार ही हुआ कि यूपी के मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नेता लोकसभा की दहलीज तक नहीं पहुंच सका.
यूपी की क्षेत्रीय पार्टियां मुसलमानों को कथित सांप्रदायिक पार्टियों का डर दिखाकर इनके वोट भुनाया करती थीं. लेकिन इस बार इन पार्टियों की यह चाल नाकाम रही. इस बार जनता ने मोदी के कामकाज व करिश्मे को नमन करना ज्यादा मुनासिब समझा. इस लिहाज से देखें, तो यूपी में लोकसभा चुनाव राजनीति के लिए कई बड़े सबक छोड़ गया.