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महाराष्ट्र: जल्द ही खत्म हो सकता है सरकार गठन पर सस्पेंस, नरम पड़े शिवसेना के तेवर

दिवाली बीतने के साथ ही अब महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर हलचल तेज हो गई है. बीजेपी विधायक दल की बैठक सोमवार को हो सकती है, लेकिन सीएम और सरकार में बीजेपी के साथी दल पर सस्पेंस अभी भी बरकरार है.

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देवेंद्र फड़नवीस (फाइल फोटो)
देवेंद्र फड़नवीस (फाइल फोटो)

दिवाली बीतने के साथ ही अब महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर हलचल तेज हो गई है. बीजेपी विधायक दल की बैठक सोमवार को हो सकती है. सीएम और सरकार में बीजेपी के साथी दल पर सस्पेंस अभी भी बरकरार है, पर समझा जा रहा है कि पूरा मामला अब जल्द ही साफ होने जा रहा है.  श‍िवसेना के रुख में भी नरमी देखी जा रही है. शिवसेना के साथ सरकार बनाना चाहती है बीजेपी

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महाराष्ट्र में बीजेपी जल्दी ही अपने मुख्यमंत्री का ऐलान करने वाली है. सूत्रों के मुताबिक, 27 अक्टूबर को मुंबई में बीजेपी के विधायकों की बैठक होने वाली है. माना जा रहा है कि इसी बैठक में महाराष्ट्र के भावी मुख्यमंत्री का चुनाव कर लिया जाएगा. इस बैठक के लिए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह पर्यवेक्षक के तौर पर जाने वाले हैं. उनके साथ जेपी नड्डा भी मौजूद होंगे. इन लोगों की मौजूदगी में बीजेपी के 123 विधायक अपना नेता चुनेंगे. करीब तीन दिन पहले ही गृहमंत्री ने दिवाली बाद अपने मुंबई जाने की बात साफ तौर पर बताई थी.

वैसे विधायक दल की बैठक का दिन करीब आने के साथ ही यह सवाल गहराता जा रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार का मुखिया कौन होगा, किसके सिर पर सीएम का ताज सजेगा. अपनी-अपनी तरफ से खेमेबाजी और अटकलबाजी का दौर जारी है. सूत्रों के मुताबिक, देवेंद्र फड़नवीस का नाम करीब-करीब तय कर लिया गया है. 27 तारीख की बैठक में उनके नाम पर मुहर लग जाएगी. लेकिन बीच-बीच में नाम गडकरी का भी उछल रहा है. हालांकि गडकरी बार-बार इससे इनकार कर रहे हैं. गडकरी बोले- दिल्ली में ही खुश हूं, नहीं जाऊंगा महाराष्ट्र

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दरअसल देवेंद्र फड़नवीस संघ के करीबी होने के साथ-साथ नरेंद्र मोदी और अमित शाह के भी पसंदीदा उम्मीदवार हैं. चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह ने कई जगहों पर फड़नवीस की जमकर तारीफ की थी. गडकरी का भी कहना है कि फड़नवीस से उनके पारिवारिक संबंध हैं और उन्हें राजनीति में लाने वाले वो ही हैं.

सरकार बनाने की कवायद के बीच यह सवाल भी बड़ा है कि सत्ता में बीजेपी का साथी कौन होगा. मोटे तौर पर देखा जाए, तो बीजेपी की तरफ से भी संकेत आ चुके हैं कि वह सरकार में शिवसेना को ही साथ लेगी. लेकिन शायद समर्थन लेने के लिए भी शर्त रखी जाए. वैसे शिवसेना चाहती है कि सरकार में मंत्रालय का बंटवारा 1995 के फॉर्मूले के तहत हो. लेकिन बीजेपी इस पर राजी होती नहीं दिख रही है.

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