तमिलनाडु में ब्राह्मण समुदाय के एक तबके ने सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मांग उठाई है. अगले महीने तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में इस मांग से सियासी गलियारों में हलचल तो होगी ही.
ब्राह्मण बहुल क्षेत्र के विधायक एस वी शेखर का कहना है कि 'तमिलनाडु में ब्राह्मण के घर पैदा होना एक श्राप है. राज्य में केवल 4 फीसदी ब्राह्मण हैं जिसकी वजह से उन्हें नजरअंदाज किया जाता है. उनमें से बहुत कम लोगों को ही अच्छी शिक्षा मिल पाती है और वह राज्य से बाहर जाकर अच्छी जिंदगी जीते हैं. ' शेखर कहते हैं कि समुदाय के लोग इसी तरह परेशान रहेंगे जब तक एक व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को आरक्षण के लिए जरूरी मापदंड नहीं बनाया जाता.
मांगों की फहरिस्त की गई है तैयार
अंथनार मुनेत्र कषगम ने चेन्नई में किए एक सम्मेलन में ब्राह्मणों के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में तीन फीसदी आरक्षण की मांग रखी थी. एएमके के अध्यक्ष एस जयप्रकाश अय्यर ने कहा है कि उन्होंने खास तौर पर तमिल फिल्मों में ब्राह्मणों के साथ होने वाले उत्पीड़न और मजाक उड़ाए जाने से सुरक्षा की मांग की है. इतना ही नहीं एएमके ने मांगों की एक फेहरिस्त तैयार की है जिसमें ब्राह्मणवादी परंपराओं और संस्कृति की रक्षा करने में सरकार के हस्तक्षेप की मांग की गई है.
आरक्षण के अलावा पुजारियों को सैलरी की भी बात
आरक्षण के अलावा पार्टी ने सभी पुजारियों के लिए हर महीने 1000 रुपये न्यूनतम वेतन और मंदिरों में काम कर रहे कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखने के लिए एक मंदिर कल्याण बोर्ड के बनाने की भी मांग की है.