भारतीय जनता पार्टी के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आम आदमी पार्टी पर चौंकाने वाला बयान दिया है. पार्टी के बारे में राय पूछे जाने पर संगठन महासचिव सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि संघ ऐसे किसी भी संगठन या राजनीतिक दल का साथ देगा जो भ्रष्टाचार से लड़ने में सक्षम है. उन्होंने कहा, हालांकि यह बात समय के साथ ही साबित होगी कि कौन सही है और कौन गलत.
'बीजेपी निकाल लेगी वाराणसी विवाद का हल'
संघ ने वाराणसी सीट को लेकर बीजेपी में चल रहे घमासान पर भी राय दी. भैयाजी जोशी ने बताया कि संघ सीट पर दावेदारी को लेकर नरेंद्र मोदी और मुरली मनोहर जोशी के बीच खबरों में
आए विवाद को लेकर चिंतित है, लेकिन उसे विश्वास है कि पार्टी इस मुद्दे का समाधान निकाल लेगी.
सुरेश भैयाजी जोशी ने बेंगलूर आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की हुई तीन दिवसीय बैठक के आखिरी दिन पत्रकारों से कहा, 'हम चिंतित हैं भी और नहीं भी. हमें लगता है कि उनके (बीजेपी के) पास इस लिहाज से पर्याप्त अनुभव है जिसे हम पहले भी कई बार देख चुके हैं. वे सक्षम हैं, समस्या का समाधान कर लेंगे.'
वाराणसी से उम्मीदवारी के मुद्दे पर शनिवार को बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति में भी गर्मागर्म बहस हुई. सूत्रों ने कहा कि कुछ सदस्यों ने इस बाबत स्पष्टीकरण की मांग की कि क्या जोशी को वाराणसी सीट छोड़नी होगी और मोदी वहां से चुनाव लड़ेंगे. खबरों के मुताबिक इस विषय को उठाने वालों में खुद जोशी और वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज शामिल थीं.
जैन धर्म हिंदू धर्म से अलग नहीं
क्या लालकृष्ण आडवाणी जैसी वरिष्ठ नेताओं को चुनाव लड़ना चाहिए, इस बाबत संघ का रुख पूछे जाने पर भैयाजी जोशी ने कहा कि संघ पार्टी को निर्देश नहीं दे सकता, केवल भावना से
अवगत करा सकता है. उन्होंने कहा, इन चीजों के बारे में फैसले पार्टी करती है. अगर कोई व्यक्ति अपनी राय व्यक्त करना चाहता है तो इसमें कुछ गलत नहीं है. हालांकि जोशी ने कहा कि
युवाओं को मौके मिलने चाहिए ताकि वे अपनी उर्जा का इस्तेमाल राष्ट्र की सेवा में कर सकें. इसके साथ ही वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन का भी लाभ मिलना चाहिए.
जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दिये जाने के बारे में जोशी ने कहा कि समाज को बांटने वाली कोई भी चीज संघ को स्वीकार्य नहीं है. जोशी ने कहा, जैन धर्म को हिंदू धर्म से अलग नहीं किया जा सकता. जैन संप्रदाय को रिवाजों और धार्मिक मतों के आधार पर हिंदू धर्म से अलग किया जाता है, सांस्कृतिक तौर पर नहीं. लिव-इन रिश्तों और समलैंगिकता पर संघ पदाधिकारी ने कहा कि संघ इन दोनों के सख्त खिलाफ है.
उन्होंने कहा, यह अवधारणा न केवल भारतीय सभ्यता के खिलाफ है बल्कि पूरी मानव जाति के लिए खतरनाक है. इस व्यवस्था को स्वीकार करने से समाज में आपसी विश्वास की भावना समाप्त हो जाएगी. इसलिए इस समाज विरोधी व्यवस्था को किसी आधार पर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. समलैंगिक रिश्तों पर तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की सहमति पर जोशी ने कहा कि यह उनकी निजी राय है और सभी को अपने विचार रखने का अधिकार है.