भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार इतने कम मुस्लिम सांसद लोक सभा के सदस्य बन पाए हैं. 16वीं लोकसभा में कुल 22 सांसद ही जीतकर आ पाए हैं. इसके पहले 1957 में सबसे कम सांसद आए थे. उस साल सिर्फ 23 सांसद ही जीते थे. सबसे ज्यादा मुस्लिम सांसद 1990 में आए थे जब कुल 49 सदस्य जीते थे.
देश में मुस्लिम वोटर हमारी कुल आबादी का 10.5 प्रतिशत हैं. ऐसे में सिर्फ 22 सदस्यों का जीतना हैरानी की बात है. इसका मतलब हुआ कि उनका सदन प्रतिनिधित्व सिर्फ 4.2 प्रतिशत का होगा.
इस बार सबसे ज्यादा मुस्लिम सांसद बंगाल से जीतकर आए हैं. वहां से आठ मुस्लिम सांसद चुने गए हैं. ममता की पार्टी तृणमूल ने चार मुस्लिम सदस्यों को टिकट दिया था और वे चारों जीते हैं.
कांग्रेस के दो और सीपीआई के दो सांसद हैं. बिहार से चार सांसद चुनकर आए, जिनमें कांग्रेस, आरजेडी, एनसीपी और लोक जनशक्ति पार्टी से एक-एक सांसद चुना गया. असम से दो मुस्लिम सांसद चुने गए. दोनों ही यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट से हैं, जबकि कश्मीर से तीन सांसद आए हैं. केरल से भी तीन मुस्लिम सांसद जीते हैं.
तमिलनाडु और आन्ध्र प्रदेश से एक-एक सांसद चुना गया है. हैरानी की बात तो यह है कि उत्तर प्रदेश से एक भी मुस्लिम सांसद नहीं चुना गया.