बिहार चुनाव से पहले एनडीए में मुख्यमंत्री की उम्मीदवारी को लेकर मारामारी मची है. हाल ही में बीजेपी से गठबंधन करने वाले पूर्व जेडीयू नेता जीतनराम मांझी ने भी न चूकते हुए खुद का नाम आगे बढ़ा दिया है.
पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने कहा कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है तो उसी का नेता होना चाहिए. लेकिन लगे हाथ उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री अपना अनुभव भी गिना दिया. कभी नीतीश के विश्वासपात्र रहे मांझी ने कहा कि एनडीए में मुख्यमंत्री पद का नौ महीने का अनुभव सिर्फ उन्हीं के पास है और अगर उन्हें मौका मिलेगा तो वह जरूर मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे. मांझी ने संकेतों में जता दिया कि अगर गैर-भाजपाई मुख्यमंत्री के बारे में सोचा जाए तो उन्हें ही पहली पसंद माना जाए.
हम लालायित नहीं हैं: मांझी
उन्होंने कहा, 'उपेंद्र जी को लोगों ने घोषित किया है. हम जब बोलते हैं कि एनडीए का सबसे बड़ा घटक बीजेपी है और वो
फैसला करेंगे तो हम पर भी दवाब आता है हमारे लोगों से. ऐसा नहीं बोलना चाहिए. कभी-कभी छोटे दल के लोग मुख्यमंत्री
और प्रधानमंत्री बन जाते है. बिहार में भी ऐसी घटना घटी है तो किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.'
उन्होंने कहा, 'हम नौ महीने मुख्यमंत्री के पद पर काम कर चुके हैं. मौका मिलेगा तो हम हम जरूर चलाएंगे और अपने
एजेंडे के 34 फैसलों को लागू करेंगे. लेकिन मौका मिलेगा तब ही, हम लालायित नहीं हैं. फैसला एनडीए को करना है.'
मांझी ने 'आज तक' से खास बातचीत में लोकजनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने मांझी की ओर से पार्टी के कुछ पूर्व विधायकों के टिकट पर विरोध किए जाने की बात कही थी. मांझी ने स्पष्ट कहा कि जो भी सिंटिंग विधायक है, उसे टिकट मिलेगा.