मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि वह चौथी बार राज्य की गद्दी संभालेंगे. ये आत्मविश्वास नहीं, जनता से मिली ताकत है. 'पंचायत आजतक' के कार्यक्रम में शिवराज ने कहा कि उन्हें कांग्रेस से विरासत में एक जर्जर मध्य प्रदेश मिला था, लेकिन उनके कार्यकाल में तेजी से विकास हुआ और राज्य की आर्थिक उपलब्धि किसी चमत्कार से कम नहीं है.
जब शिवराज से पूछा गया कि विपक्ष कह रहा है कि इस बार उनके पास वापसी का बेहतर मौका है. विधानसभा चुनाव से पहले कई सर्वे में भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर दिखाई जा रही है? इस पर चुटकी लेते हुए शिवराज ने कहा कि कांग्रेस नेता हर चुनाव से पहले यही कहते हैं और बाद क्या होता है उन्हें पता है.
शिवराज ने कहा कि जहां तक सर्वे की बात है तो उनसे बड़ा सर्वेयर कोई नहीं हो सकता. शिवराज ने कहा, 'मैं सबसे बड़ा सर्वेयर हूं, 24 घंटे जनता के बीच रहता हूं, उनकी आंखों को पढ़ता हूं, गले मिलता हूं, हाथ मिलाता हूं, बातें करता हूं.' शिवराज की मानें तो जनता उनके साथ और वो जीता का चौका लगाने जा रहे हैं.
आजतक के कार्यक्रम में शिवराज ने दावा किया कि उनकी सरकार के कार्यकाल में विकास दर लगभग डबल डिजिट रही है. उनके कार्यकाल में किसानों को सशक्त किया गया और पंचायतों में फैसला लिया जाने लगा है. शिवराज ने कहा कि अभी उन्हें राज्य के लिए बहुत कुछ करना बाकी है. मध्य प्रदेश को देश का नंबर वन स्टेट बनाने के लिए रोड मैप बना लिया है और जल्द उसपर काम शुरू कर दिया जाएगा.
अपने रोडमैप पर बात करते हुए शिवराज सिंह ने कहा कि उनकी सरकार कृषि में बड़े सुधार कर रही है और अब किसानों की आमदनी में बड़ा इजाफा करने की तैयारी है. शिवराज सिंह ने कहा कि बीते दो साल में राज्य में 2 लाख करोड़ का निवेश आया है. इस निवेश के चलते राज्य में बड़े रोजगार आए हैं और अब इस रोजगार को और बढ़ाने की जरूरत है.
2013 में क्या थे राज्य के चुनावी नतीजे
मध्य प्रदेश में कुल 231 विधानसभा सीटें हैं. 230 सीटों पर चुनाव होते हैं जबकि एक सदस्य को मनोनीत किया जाता है. इनमें से 35 अनुसूचित जाति वर्ग के लिए और 47 अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. राज्य में तकरीबन 15 फीसदी दलित और 21 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं.
2013 के चुनाव में राज्य की 230 विधानसभा सीटें में से बीजेपी को 165, कांग्रेस को 58, बसपा को 4 और अन्य को तीन सीटें मिली थीं. बता दें कि बीजेपी राज्य की सत्ता पर पिछले 15 साल से काबिज है.