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नीतीश कुमार से हमें ये उम्मीद नहीं थी: रविशंकर प्रसाद

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. इसी क्रम में 'पंचायत आज तक' के मंच पर संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एनडीए गठबंधन से नीतीश कुमार अलग हुए थे, बीजेपी नहीं. यही नहीं, उन्होंने यह भी कि कहा कि नीतीश ने उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि नरेंद्र मोदी का विरोध करने के लिए वो लालू प्रसाद के साथ आए जाएंगे.

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पंचायत आज तक के मंच पर संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद
पंचायत आज तक के मंच पर संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. इसी क्रम में 'पंचायत आज तक' के मंच पर संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एनडीए गठबंधन से नीतीश कुमार अलग हुए थे, बीजेपी नहीं. यही नहीं, उन्होंने यह भी कि कहा कि नीतीश ने उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि नरेंद्र मोदी का विरोध करने के लिए वो लालू प्रसाद के साथ आए जाएंगे.

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बिहार अब केंद्र के मदद के बगैर आगे नहीं जा सकता. ये मैसेज क्यों जा रहा है?
रविशंकर: ये मैसेज बनाया किसने? नीतीश जी ने. मोदी जी 1 लाख 25 हजार करोड़ के पैकेज देते हैं तो वो कहते हैं ये कुछ नहीं है. दो लाख पचास हजार के पैकेज मैं खुद लेकर आउंगा. तो फिर केंद्र से मदद की जरूरत क्यों है. ये उनका बनाया हुआ फंडा है.

तो क्या ये मोदी बनाम नीतीश चुनाव है?
रविशंकर: पूर्वी भारत के विकास के बगैर भारत का विकास नहीं हो सकता. उड़ीसा में नहीं है. बिहार में 8 नवंबर के बाद आएगी. झारखंड में अभी आई है. बिहार के विकास के प्रामाणिक संकल्पबद्धता इसका सबूत है. नीतीश जी ने आज आपके मंच से कहा कि यहां जंगल राज नहीं है अब. नीतीश जी बताएं मोदी जी की रैली में बम विस्फोट हुआ. हम भी मंच पर थे. लेकिन वहां एक भी पुलिस वाले नहीं थे. जंगल राज उस दिन आया था.

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मोदी जी मंच से कहते हैं कि लोगों को आपस में नहीं लड़ना है गरीबी से लड़ना है. अभी तक बिहार में सेंट्रल यूनिवर्सिटी क्यों नहीं आई. जीतन राम मांझी के मुख्यमंत्री काल में हमने सॉफ्टवेयर टेक्नलॉजी पार्क के लिए जमीन मांगी. उन्होंने दे दी. अब उस जमीन पर कुंडी मार कर बैठे हैं. क्या विकास के लिए सियासत की ये दरारें जरूरी हैं क्या?

आप लोग आठ बरस साथ रहे. उस वक्त ये महसूस नहीं हुआ. लेकिन उसके पहले कभी ये अहसास नहीं हुआ?
रविशंकर: भाजपा का नीतीश जी के साथ स्थायित्व का बिहार इकोनॉमिक सर्वे की बातें हैं. जब तुम हमें इतना बेवफा मानने ही लगे तो वफाई क्या करें. नीतीश जी जंगल राज की बात करते हैं तो मुझे ये बताना पड़ा. उस वक्त लालू जी साथ नहीं आए थे. नीतीश जी दावा करते हैं. लालू जी के कंधे पर सुशासन का दावा. इससे बड़ा खोखला दावा कुछ नहीं हो सकता. वो बिहार का सूनापन, खौफ का मंजर बहुत कुछ बोलता था. बिहार की राजनीति में गुड-गवर्नेस मुद्दा बना है तो ये अच्छी बात है. जनता तय करेगी.

तो क्या बिहार में सरकार चल रही थी वो आपकी वजह से?
रविशंकर: अटल बिहारी सरकार में नीतीश मंत्री थे. वो अक्सर उस दौर की बातें करते हैं. रविशंकर के वकील की भूमिका को आप जानते हैं न. नीतीश कुमार साफ साफ बताएं कि चारा घोटाले और अलकतरा घोटाले पर उन्हें क्या कहना है?

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आपने क्यों नीतीश को स्वीकार किया?
रविशंकर: क्षमा करें. हमने दूर तक ये कल्पना नहीं की थी कि मोदी जी को रोकने के लिए ये लालू जी का हाथ थामेंगे.

भविष्य के गर्भ में क्या है? 2015 के जनादेश के बाद हो सकता है कि त्रिशंकु मैंन्डेट मिला, फिर?
रविशंकर: आपका चैनल ये नहीं कहता. बिहार को देखते हुए मुझे 35-40 साल हो गए. मैंने जेपी को देखा, इंदिरा की तानाशाही देखी, राजीव के उत्थान को देखा, वीपी सिंह को देखा. अगर आप मुझसे पूछ रहे हैं तो नीतीश कुमार की राजनीति पिछले कुछ वर्षों में चल रही है उसके आधार पर मैं ये कह सकता हूं कि चुनाव बाद उनका साथ तो संभव नहीं है.

हैदराबाद से बिहार में ओवैसी की एंट्री हो रही है.
रविशंकर: जेपी की अगुवाई में काम करने का मौका मिला. लालू जी छात्र संघ के अध्यक्ष थे. सुशील मोदी महामंत्री थे. नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, शरद यादव, रामविलास पासवान, रविशंकर प्रसाद ये सभी उसी आंदोलन से उपजे हुए हैं. नरेंद्र मोदी देश की जनता के द्वारा चुने गए हैं. मोदी और हैदराबाद से आए व्यक्ति की तुलना आप कर रहे हैं ये सही नहीं. बिहार के लोगों की सियासी समझ बहुत अधिक है. सामाजिक न्याय यहीं से शुरू हुआ. बिहार में विकास एक बहुत बड़ा मुद्दा बनेगा. यहां की जनता जाति, समुदाय से ऊपर उठ कर वोट देंगे. यह मिसाल बनेगा.

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आपके साथ रामविलास पासवान और मांझी क्यों खड़े हैं?
रविशंकर: मैंने ये नहीं कहा कि जातिवाद खत्म हो चुका है. जातिवाद की दीवारें टूटती रहती हैं. बिहार के चुनाव में नीतीश जी और हम अपना विकास का मॉडल लेकर आ रहे हैं. जनता चुनेगी, किसका बेहतर है.

इससे पहले कोई नहीं जानता था कि मोदी जी भी ओबीसी हैं. यह बिहार चुनाव में सुनने को मिला. सोशल इंजीनियरिंग की बातें गोविंदाचार्य पढ़ाना चाहते थे उस वक्त किसी ने नहीं सुनी. पंडित दीनदयाल शास्त्री ने सबसे पहले इस बात का जिक्र किया था. आलोचना करने वाले तो करते ही रहेंगे.

कोई चेहरा क्यों नहीं मिला?
रविशंकर: आपको हमारे चेहरे की चिंता बहुत है आज तक. महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर में नहीं दिया जीत गए. दिल्ली में दिया तो हार गए. ये तो देखने-देखने का फर्क है.

आप आना चाहते हैं बिहार?
रविशंकर: मैं जहां हूं सही हूं.

रविशंकर प्रसाद कानूनी तौर पर लालू यादव को कसेंगे?
रविशंकर: पार्लियामेंट्री बोर्ड पार्टी का नेता तय करती है. वो ही करेगी. झटके में मुस्लिम तबके को बीजेपी से अलग कर दिया गया है. मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने जनधन योजना के तहत 1 लाख 8 हजार अकाउंट खुले हैं. हमें मुसलमानों का वोट नहीं मिलता ऐसा नहीं है. लेकिन हां कुछ ही मिलता है. हमारे पॉलिटिकल विरोधियों को उनके वोट नहीं मिलने पर भी देश के आठ बड़े राज्य में और दो राज्य में सहयोगी पार्टी के रूप में राज कर रही है.

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देश में राज्य कर रही है. वोटों के ठेकेदार नरेंद्र मोदी को अपने यहां बुला सकते हैं उन्हें लड्डू खिला सकते हैं लेकिन वोट नहीं दे सकते. बिहार में प्री मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक की हालत देखिए. नर्मदा कापानी हर गांव में जाएगा, बिजली हर गांव में पहुंचेगी तो क्या मुसलमान वहां के गांवों को छोड़ दिए. हम काम करते हैं विकास के लिए. इमामगंज, कोंच, इलाकों में गया था. किशनगंज में अगर बीपीओ खोल सका तो मुझे सबसे अधिक खुशी होगी. हमें राजनीतिक चश्मे से देखना छोड़ दें.

तालीम की ताकत नाम से इसी हॉल में कार्यक्रम हुआ था. उसमें मौलाना समसुद्दीन ने कहा, ‘चेन्नई में मस्जिदों में आईएएस की कोचिंग चल रहे हैं.’ अब जुमले बदल रहे हैं. ‘एक हाथ में कुरान और दूसरे में कंप्यूटर’ नया जुमला है.

तो पाकिस्तान जाने की बातें क्यों करते हैं?
रविशंकर: जो भी बात चुनाव के समय में कही गई थी उसे आप पार्टी की लाइन नहीं मान सकते. यह पार्टी का बयान नहीं है. कभी आपने राजीव गांधी से ये सवाल पूछा कि उन्होंने कहा था कि जब बड़ा पेड़ गिरता है तो भूचाल आता है. हमारे काम को देखिए. डॉक्टर एपीजे कलाम को राष्ट्रपति बनाया या नहीं. देश के 10 राज्यों में शासन करते हैं. अब 11वें करेंगे. नीतीश तब साथ थे जब एपीजे को राष्ट्रपति बनाया.

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आप साफगोई के साथ जनता में क्यों नहीं जाते?
रविशंकर: हम साफ बोल रहे हैं. क्या हम इन्हीं चर्चा के दायरे में बंधे रहें. देश की जनता सोच रही है और इसका नतीजा आपके सामने है. आपको अफसोस हो रहा है कि हम 2010 में साथ क्यों खड़े हुए. कुछ लोग बातें करना चाहते थे. हमने कहा कोई बात नहीं करेगा. जंगल राज वापस न आ जाए. नीतीश जी को हमने नहीं छोड़ा उन्होंने हमें नहीं छोड़ा. नीतीश जी पूर्वाग्रह के साथ राजनीति कर रहे हैं.

बिहार के हित में दोबारा नीतीश जी के साथ जाना चाहेंगे तो जाएंगे?
रविशंकर: नीतीश जी नरेंद्र मोदी के खिलाफ पूर्वाग्रह लेकर इतनी दूर चले गए हैं उन्होंने इतनी ऊंची दीवार खड़ी कर दी है कि आज मैं भी नहीं चाहूंगा कि हम नीतीश जी के साथ आएं.

आपने दर्जनों बार जंगल राज, राम मंदिर, बाबरी मस्जिद कब तक सुनना पड़ेगा?
रविशंकर: आपके मंगलराज की जो परिकल्पान की गई वो क्या है? बीजेपी को वोट दिया, महंगाई पर रोक लगाने के लिए वोट दिया गया. आपकी सरकार ने कुछ नहीं किया. चार महीने में गरीबों को इंश्योरेंस मिल गया, लाखों एकाउंट खुल गए. दुनिया सम्मान से देख रही है. पूंजी निवेश हो रहा है. सड़कें बन रही हैं.

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