जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती मीडिया के सामने आईं. बोलीं बहुत कुछ, लेकिन साफ-साफ कुछ नहीं. जिस लाइन से उन्होंने बात खत्म की, उससे अगली सरकार की तस्वीर बनते देखी जा सकती है. वे पार्टी की जीत के लिए अवाम का शुक्रिया कर रही थीं, तभी पीछे खड़े किसी शख्स ने एक शब्द कहा, 'स्टेट'. महबूबा बोलीं- हां, हम स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन का शुक्रिया अदा करते हैं. इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के तो शुक्रगुजार हैं ही, जिन्होंने फ्री और फेयर पोल करवाए, हम इस चुनाव के लिए सेंटर की एनडीए सरकार के भी शुक्रगुजार हैं.
अब सवाल. जम्मू-कश्मीर में चुनाव के लिए एनडीए सरकार का शुक्रिया क्यों?
इधर उमर अब्दुल्ला कह चुके हैं कि वे भाजपा को सपोर्ट करने के बजाए पीडीपी के कहने पर उसे समर्थन देने को तैयार हैं. कांग्रेस पहले ही अपने दरवाजे पीडीपी के लिए खोल चुकी है. लेकिन महबूबा कह रही हैं कि जनता ने राज्य में कांग्रेस-एनसीपी के खिलाफ वोट दिया है. सीटों के आंकड़े कह रहे हैं कि सिर्फ पीडीपी और भाजपा ही वह मुकाम हासिल कर पाए हैं कि दोनों मिलकर सरकार बना सकते हैं.
महबूबा 2002 को याद करती हैं, जब उनके पास सिर्फ 16 सीटें थीं और उन्होंने कांग्रेस के साथ कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाकर सरकार चलाई. हालांकि, वे लोकसभा में एनडीए और मोदी को लेकर 'सॉफ्ट' हैं. चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह मोदी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस, अब्दुल्ला परिवार और कांग्रेस पर हमला बोला, वह मेहबूबा को पसंद आया ही होगा.
तो जम्मू-कश्मीर में अगली सरकार पीडीपी-भाजपा की बन रही है?
इतना भी आसान नहीं है. AFSPA और धारा 370 के मामले में दोनों पार्टियों के ख्याल एकदम जुदा हैं.
लेकिन यहीं तो काम आता है कॉमन मिनिमम प्रोग्राम. हालांकि, भाजपा इन दिनों अलग मूड में है. अब उसे किसी समझौते के साथ सिर्फ सत्ता में आना ही मंजूर नहीं है. वह फैसलों में अपना प्रभाव दिखाना चाहती है. महाराष्ट्र में देख चुके हैं. जम्मू-कश्मीर में उसकी कितनी चलेगी, देखना दिलचस्प होगा.