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ओमान चांडी: जुझारू राजनीतिज्ञ, लेकिन विवादों से भी नाता

40 साल से ज्यादा के राजनीतिक करियर के दौरान यह पहली बार है जब चांडी ने अपना कार्यकाल पूरा किया है. सेंट जॉर्ज हाई स्कूल में पढ़ाई के दौरान चांडी केरल स्टूडेंट यूनियन से जुड़े थे. वह 1967 से 1969 तक दो साल के लिए स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट रहे. इसके बाद 1979 में उन्हें केरल के यूथ कांग्रेस विंग का प्रेसिडेंट बनाया गया.

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सोलर स्कैम से छवि हुई खराब
सोलर स्कैम से छवि हुई खराब

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केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी का जन्म केरल के कोट्टयम जिले में 31 अक्टूबर 1943 को हुआ था. ओमान चांडी के राजनीतिक करियर में छात्र राजनीति अहम हिस्सा रही है. उन्होंने केरल स्टूडेंट यूनियन के कार्यकर्ता के तौर पर पहली बार राजनीति में कदम रखा था. खास बात यह है कि 40 साल से ज्यादा के राजनीतिक करियर के दौरान यह पहली बार है जब चांडी ने अपना कार्यकाल पूरा किया है.

यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे
सेंट जॉर्ज हाई स्कूल में पढ़ाई के दौरान चांडी केरल स्टूडेंट यूनियन से जुड़े थे. वह 1967 से 1969 तक दो साल के लिए स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट रहे. इसके बाद 1979 में उन्हें केरल के यूथ कांग्रेस विंग का प्रेसिडेंट बनाया गया. यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट नेता ओमान चांडी फिलहाल केरल के 21वें मुख्यमंत्री के पद पर हैं. केरल में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट का कांग्रेस के साथ गठबंधन है.

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40 साल से ज्यादा समय से राजनीति में
चांडी का मुख्यधारा का राजनीतिक करियर 1970 में ही शुरू हो गया था. उन्हें पहली बार केरल विधानसभा के लिए चुना गया था. इसके बाद 1977, 1980, 1983, 1987, 1991, 1996, 2006 और फिर 2011 में हुए चुनावों में उन्होंने जीत हासिल कर अपनी विधानसभा सदस्यता को कायम रखा.

2004 में पहली बार मुख्यमंत्री बने
चांडी ने केरल में 4 बार मंत्री के तौर पर शपथ ली है. लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने 2004 में पहली बार शपथ ली. उस साल हुए संसदीय चुनावों में कांग्रेस को केरल में एक भी सीट नहीं मिली थी. हार की जिम्मेदारी लेते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री ए के एंटोनी को इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद 30 अगस्त 2004 को ओमान चांडी कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए. हालांकि, उन्होंने 2006 में हुए विधानसभा चुनावों में हार की वजह से अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

2011 में कांग्रेस को दिलाई जीत
2011 में हुए विधानसभा चुनावों में यूडीएफ नेता ओमान चांडी अपनी पार्टी को जीत दिलवाने में कामयाब रहे. उनकी पार्टी ने कुल 72 सीटों पर कब्जा किया. हालांकि इस जीत का फासला बेहद कम था. राज्य में मौजूद लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट एलडीफ को 68 सीटें मिली थी.

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घोटालों से जुड़ता रहा नाम
1991-92 में केरल में पामोलिन आयात घोटाला काफी चर्चित रहा. उस समय राज्य में यूडीएफ की सरकार थी और के. करुणाकरण मुख्यमंत्री थे. इस दौरान ओमान चांडी राज्य के वित्त मंत्री पद पर थे. इस घोटाले की वजह से सरकार को 2.32 करोड़ का नुकसान हुआ था. हालांकि यह केस 2010 में बंद हो गया था लेकिन 2011 के चुनाव के दौरान यह मुद्दा फिर उठा. लेकिन कोर्ट को घोटाले में चांडी के प्रत्यक्ष तौर पर शामिल होने के कोई सबूत नहीं मिले. 2013 में केरल हाईकोर्ट ने चांडी को मामले में क्लीन चिट दे दी.

सोलर पैनल घोटाले ने छवि को धूमिल किया
हाल ही में केरल राज्य में सोलर पैनल घोटाले ने मुख्यमंत्री ओमान चांडी की छवि को नुकसान पहुंचाया. इस घोटाले ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया. घोटाले के केंद्र में सरिता नायर और उसका पार्टनर बिजू राधाकृष्णन है. दोनों ने टीम सोलर नाम से एक फर्म खोली थी. इस फर्म ने सोलर पैनल देने के नाम पर कई निवेशकों से बड़ी धनराशि इकट्ठी की. लेकिन करोड़ों रुपये लेने के बाद भी उन्हें डिवाइस नहीं दी गई. इस धोखाधड़ी में मुख्यमंत्री ओमान चांडी का नाम भी शामिल किया गया. चांडी पर करोड़ों रुपये घूस लेने का आरोप है. आरोपी सरिता ने ही सीएम पर सेक्रेटरी के जरिए करीब दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप लगा दिया. इसके बाद से राज्य में चांडी के इस्तीफे की मांग शुरू हो गई.

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