प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी को पूर्वी असम के मोरान की चुनावी रैली में ये नारा दिया- 'आपके जीवन में आनंद लाना है इसलिए असम में सर्बानंद लाना है'. पीएम का ये बयान साफ तौर पर दिखाता है कि बीजेपी इस बार असम के चुनाव में बाकी राज्यों की तरह केवल पीएम मोदी के चेहरे के भरोसे नहीं उतरने जा रही.
असम विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने युवा नेता और केंद्रीय खेल मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को सीएम कैंडिडेट घोषित किया है और सोनोवाल के जरिए विकास के एजेंडे पर असम के चुनावी मैदान में बीजेपी को सीन बदलने की पूरी उम्मीद है. सीएम उम्मीदवार बनाए गए सोनोवाल के हक में कई अहम बातों का योगदान रहा है. इन 10 बातों से सोनोवाल की राजनीतिक शख्सियत को समझा जा सकता है.
1. लखीमपुर से सांसद सर्बानंद सोनोवाल साल 2012 और 2014 में दो बार असम बीजेपी के अध्यक्ष रहे. इसलिए राज्य इकाई में उनकी पैठ गहरी मानी जा रही है. उन्हें संगठन का आदमी कहा जाता है.
2. केंद्र सरकार ने अपने नेताओं की उम्र को लेकर एक मानक तय किया है. बीजेपी इसपर गंभीर दिखने की कोशिश कर रही है. ऐसे में 54 साल के सोनोवाल का नाम सामने आना स्वाभाविक है.
3. साल 2014 में हुए आम चुनाव में बीजेपी ने असम में बेहतर प्रदर्शन किया था. इसके पीछे सोनोवाल की राजनीतिक सूझबूझ को क्रेडिट दिया गया है.
4. सोनोवाल के पास छात्र राजनीति का भी व्यापक अनुभव है. वह असम गण परिषद के स्टूडेंट विंग ऑल असम स्टूडेंट यूनियन और पूर्वोत्तर के राज्यों में असर रखने वाले नॉर्थ इस्ट स्टुडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
5. राज्य के 14 लोकसभा सीटों में 7 पर जीत हासिल करने वाले बीजेपी ने असम गण परिषद के साथ गठबंधन किया है. सोनोवाल की सीधी पहुंच राज्य की सभी सीटों तक है.
6. साल 1992 से राजनीति में सक्रिय सोनोवाल ने हमेशा राज्य में ही रहकर आंतरिक राजनीति की. सभी दलों के नेताओं से उनके निजी परिचय हैं. चुनाव बाद की रणनीति में इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है.
7. मोरान से विधायक और बाद में डिब्रुगढ़ और लखीमपुर से सांसद रहने के साथ ही राज्य में गृह मंत्री और उद्योग-वाणिज्य मंत्री रहने के कारण सोनोवाल की राज्य की प्रशासनिक पर जबरदस्त पकड़ मानी जाती है.
8. केंद्र सरकार में खेल मंत्रालय संभाल रहे सोनोवाल निजी तौर पर फुटबॉल और बैडमिंटन के खिलाड़ी भी रहे हैं. पूर्वोत्तर में फुटबॉल प्रेम के प्रभाव से कोई अपरिचित नहीं होगा.
9. सोनोवाल ने ही असम में बांग्लादेशी घुसपैठ मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की अगुवाई की है. इन हालातों में उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी पूरा समर्थन मिला है.
10. आखिर में सबसे अहम बात, सर्बानंद सोनोवाल बहुत अच्छे वक्ता माने जाते हैं. उनकी भाषण कला के प्रशंसक बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी रहे हैं. सोनोवाल को बीजेपी में आते ही कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया था. वह असम बीजेपी के प्रवक्ता भी रहे हैं.