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चुनाव में नेता करवा रहे हैं विरोधियों की जासूसी

पुरानी कहावत है कि मुहब्‍बत और जंग में सब जायज है. ऐसे में बात जब चुनावी दंगल की हो तो सारे नियम धरे के धरे रह जाते हैं. चुनाव में नेताओं की रैलियों के किस्‍से तो आपने खूब सुने होंगे, लेकिन जीत की इस अंधी दौड़ में एक किस्‍सा ऐसा भी है जो अब तक न तो सुना गया और न ही किसी ने देखा.

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Symbolic Image
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पुरानी कहावत है कि मुहब्‍बत और जंग में सब जायज है. ऐसे में बात जब चुनावी दंगल की हो तो सारे नियम धरे के धरे रह जाते हैं. चुनाव में नेताओं की रैलियों के किस्‍से तो आपने खूब सुने होंगे, लेकिन जीत की इस अंधी दौड़ में एक किस्‍सा ऐसा भी है जो अब तक न तो सुना गया और न ही किसी ने देखा.

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चुनावी माहौल में जहां सब कुछ नेता, वोट और वादे पर टिका है, वहीं दक्षिणी दिल्ली के पौश इलाके में प्राइवेट जासूस संजीव देसवाल इन दिनों काफी बिजी हैं. न सिर्फ संजीव बल्कि उन जैसे कई जानेमाने जासूस इन दिनों व्‍यस्‍त हैं. माहौल चुनाव का है और आप सोच रहे होंगे कि आखिर इसका जासूसी से क्‍या कनेक्‍शन है तो आपको बता दें कि यह एक ऐसा राज है जो अंधेरे में रास्‍ता बनाता है और सियासी कसरत में शिखर तक ले जाता है.

इस राज से पर्दा हम नहीं बल्कि दिल्ली के जानेमाने जासूस संजीव देसवाल उठा रहे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. ऐसे में सियासी मैदान में किस्मत आजमा रहा हर नेता अपने विरोधियों को धूल चटाने की जुगत में लगा है. भले ही हर पार्टी और नेता जनता के बीच जाकर अपने-अपने जीत के दावे कर रहा हो, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि नेताजी अपने काम और मेहनत से ज्यादा विरोधियों के काम पर नजर बनाए हुए हैं और वह भी प्राइवेट जासूसों के जरिए.

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छह महीने पहले शुरू हो जाती है तैयारी
संजीव देसवाल और उनके प्राइवेट जासूस चुनाव के तकरीबन 6 महिने पहले से नेताओं की जासूसी करने में जुटे हुए हैं. आपको जानकर आश्‍चर्य होगा कि जासूसी की यह कहानी पहले अपनी ही पार्टी से शुरू होती है. नेता जासूसों के जरिए पहले टिकट बंटवारे पर नजर रखते हैं और फिर शुरू होता है विरोधियों की जासूसी का सिलसिला.

जासूसी का यह किस्‍सा फोटो और बेसिक जानकारी से शुरू होता है. कुछ नेताओं की जासूसी की तस्वीरें आप संजीव देसवाल के लैप-टॉप पर भी देख सकते हैं, जहां एक पार्टी के नेता जो दिल्ली के चुनावी मैदान में हैं और जिनके पास अवैध प्रॉपर्टी का खजाना है. लेकिन यह बात चुनाव आयोग से छुपाई गई है.

अवैध संबंधों की कहानी
मैदान में विरोधी नेता के किसी महिला से अवैध संबंध की जानकारी इन जासूसों के जरिए पता लगाना हर किसी की पहली पसंद है. जाहिर है ऐसे में विरोधियों को बदनाम कर उन पर शिकंजा कसना आसान होता है.

आज तक के रिपोर्टर जब जासूस संजीव देसवाल के आफिस में बैठे थे, तभी दिल्ली के चुनाव में खड़े एक बड़े नेता का कार्यकर्ता दरवाजा खोल कर दाखिल होता है. जासूस कार्यकर्ता को एक सीडी देता है और कार्यकर्ता चला जाता है. रिपोर्टर ने जासूसी कांड की पूरी कहानी जानने के लिए संजीव देसवाल के ऑफिस के बाहर उस बड़ी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता को पकड़ा और उससे चुनाव के काले खेल का राज जानने की कोशिश की तो पता चला कि देश की एक बड़ी पार्टी का ये कार्यकर्ता प्राइवेट जासूस के पास अपने नेता जी के लिये एक सीडी लेने आया था.

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यह वो सीडी है जिसमें कई राज छुपे हैं. ऐसे राज जो आने वाले दिनों में देश की सियासत में भूचाल मचा सकते हैं. किसी को महान तो किसी को सड़क पर लाने का माद्दा रखते हैं. यह तो सिर्फ बानगी है. जासूसी, सीडी और सीडी में छिपे जाने कितने ही राज अभी नेताओं की चुनावी योजना में शामिल हो चुके हैं या होने वाले हैं.

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