बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की मुस्लिम धर्मगुरुओं से हुई मुलाकात को लेकर विरोधी दल हमलावर हो गए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी की मुलाकात को लेकर हाय-तौबा मचाते हुए चुनाव आयोग तक शिकायत कर आई बीजेपी को अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के मुस्लिम धर्मगुरुओं से की गई मुलाकात की सफाई देने में मुश्किल आ रही है.
दो दिन के लिए चुनाव प्रचार की खातिर लखनऊ आये राजनाथ ने सोमवार को शिया धर्मगुरु और इमाम-ए-जुमा मौलाना कल्बे जवाद नकवी और सुन्नी धर्मगुरु व ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली से उनके घर जाकर मुलाकात की थी.
इस दौरान राजनाथ ने बीजेपी के घोषणापत्र में मुस्लिमों के कल्याण के लिए किये गए वादों से अवगत कराया. लखनऊ के सांसद लालजी टंडन और महापौर डॉ. दिनेश शर्मा की मौजूदगी में हुई इन मुलाकातों ने राजनीतिक प्रेक्षकों को चौंका दिया. इस पर बीजेपी के विरोधियों ने पलटवार करने में देर नहीं की.
मंगलवार को राजधानी आए कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता शकील अहमद ने राजनाथ सिंह पर हमला करते हुए कहा कि मुस्लिम धर्मगुरुओं से बीजेपी नेता की यह मुलाकात सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की पुरजोर कोशिश है. सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने भी इसे हताशा और निराशा का परिचायक बताते हुए कहा कि बीजेपी का चेहरा बेनकाब हुआ है.
बीजेपी ने सफाई देने की मुद्रा में कहा कि दरअसल यह मुलाकात बीजेपी अध्यक्ष नहीं बल्कि लखनऊ सीट से पार्टी के प्रत्याशी राजनाथ सिंह ने की थी. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि चूंकि दोनों मुस्लिम धर्मगुरु लखनऊ के मतदाता भी हैं, इसलिए उनसे मिलकर उनका समर्थन हासिल करने की कोशिश को एक प्रत्याशी और वोटर के बीच संपर्क के अतिरिक्त किसी और नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए.