दिल्ली विधानसभा चुनाव से मिले सबक को देखते हुए भाजपा बिहार में भले ही किसी चेहरे को आगे करने में हिचक रही हो लेकिन चुनाव बाद अगर पार्टी को बहुमत मिलता है तो कौन मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार हो सकता है इस बात की चर्चा में कई नाम सामने आते हैं. इन्हीं नामों से एक है राजीव प्रताप रूडी का. डालते हैं राजीव प्रताप रूडी के राजनीतिक जीवन पर एक नजर:
1. राजीव प्रताप रूडी उत्तरी बिहार के छपरा से लोकसभा सांसद हैं. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. गोवा के प्रभारी रहे हैं. केंद्र सरकार में कौशल विकास और उद्यमिता मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य राज्यमंत्री हैं.
2. रूडी युवा नेता और अच्छे वक्ता माने जाते हैं और पार्टी में काबिज अमित शाह-मोदी गुट के भरोसेमंद माने जाते हैं.
3. 30 मार्च 1962 को पटना में जन्में रूडी वस्तुत सारण जिले के रहने वाले हैं. और तीसरी बार वहां से लोकसभा का चुनाव जीते हैं.
4. शैक्षणिक बैकग्राउंड से आने वाले राजीव प्रताप रूडी का राजनीति में अच्छा-खासा अनुभव है. वे पटना के ए. एन. कॉलेज में लेक्चरर भी रहे हैं.
5. अपने छात्र जीवन में ही रूडी राजनीति से जुड़ गए थे. और भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे हैं.
6. 1990 में महज छब्बीस साल की उम्र में वे बिहार विधानसभा के विधायक के रूप में चुने गए. उनकी गिनती सबसे कम उम्र के विधायकों में से एक के रूप में हुई.
7. 1996 में वे छपरा से लोकसभा के लिए चुने गए और 1999 में दोबारा चुने जाने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री के रूप में शामिल हुए. बाद में उन्हें पदोन्नत करते हुए स्वतंत्र प्रभार के साथ नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया.
8. अपनी इन जिम्मेदारियों के अलावा भी रूडी कई सामाजिक-राजनीतिक भूमिका में अक्सर दिख जाते हैं. वर्तमान में लोकसभा अध्यक्षा द्वारा नामित सचिव (प्रशासन) के रूप में कंस्टीट्यूशन क्लब की देखभाल भी करते हैं. साथ हीं वे दिल्ली स्थित गूंगों और बहरों की राष्ट्रीय संस्था के अध्यक्ष भी हैं.
9. रूडी एक प्रशिक्षित पायलट भी हैं. वे यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) अनुमोदित मियामी, फ्लोरिडा के सिमसेंटर (SimCenter) से ए-320 विमान उड़ाने की विशेषज्ञता प्राप्त वाणिज्यिक पायलट लाइसेंसधारक हैं.
10. पार्टी संगठन में भी रूडी सक्रिय रहे हैं. वे गोवा और महाराष्ट्र के राज्य प्रभारी के रूप में काम कर चुके हैं. पिछले साल जब पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने संगठन का चेहरा बदला को रूडी को आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की जिम्मेदारी दी गई. बिहार की राजनीति में रूडी सबसे कम विवादों वाले और तेजी से उभरते युवा नेता के रूप में उभरे हैं.
पिछले लोकसभा चुनावों के बाद अगर देखा जाये को भाजपा में पुराने नेताओं का प्रभाव तेजी से कम हुआ है. अधिकांश राज्यों के चुनाव पार्टी ने बिना मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किये लड़ा है और अधिकांश में जीत भी मिली है. महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड के चुनाव इसके उदाहरण हैं. इन सभी चुनावों में जीत के बाद नेतृत्व युवा और पार्टी के नए गुट के करीब के नेताओं को सौंपा गया है. ऐसे में बिहार के परिप्रेक्ष्य में अगर देखा जाये तो रूडी के लिए संभावनाएं काफी बेहतर दिखती है.