पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने आज स्पष्ट कर दिया कि उनकी अमृतसर से लोकसभा चुनाव लड़ने में रुचि नहीं है, जहां से बीजेपी ने वरिष्ठ नेता अरुण जेटली को मैदान में उतारा है.
अमरिंदर ने अपना यह रुख इस अटकल की पृष्ठभूमि में स्पष्ट किया है कि शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व उन्हें अमृतसर से उतारने का इच्छुक है, जहां से राज्यसभा में विपक्ष के नेता जेटली मैदान में हैं. उन्होंने एक बयान में कहा है कि कांग्रेस में अमृतसर से मजबूत, ताकतवर एवं प्रभावशाली स्थानीय नेता हैं जो जेटली के खिलाफ सफलतापूर्वक मुकाबला कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि अमृतसर कांग्रेस का मजबूत गढ़ है और पार्टी ने यह सीट कई बार जीती है. अमरिंदर ने यहां जारी एक बयान में कहा कि बाहरी होने के चलते उन्हें अमृतसर के बारे में उतनी जानकारी नहीं जितनी कि किसी स्थानीय व्यक्ति को होगी. मैं वहां पर जरूरी समय भी नहीं बिता पाऊंगा.
खबरों के अनुसार पंजाब कांग्रेस प्रमुख प्रताप सिंह बाजवा ने पार्टी नेतृत्व को बताया है कि शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी उम्मीदवार अरुण जेटली के खिलाफ अमरिंदर एक ताकतवर उम्मीदवार हो सकते हैं. जेटली को बीजेपी के वर्तमान सांसद नवजोत सिद्धू के स्थान पर उम्मीदवार बनाया गया है.
अमरिंदर ने कहा कि यदि वह चुनाव लड़ते हैं और अमृतसर से सांसद चुन लिए जाते हैं फिर भी वह किसी स्थानीय की तुलना में वहां के लोगों के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे. अमरिंदर ने कहा कि करीब तीन सप्ताह पहले जब उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी, तो उन्होंने उन्हें पेशकश की थी कि वह बठिंडा या अमृतसर से चुनाव लड़ें.
अमरिंदर ने कहा कि उन्होंने उसी समय स्पष्ट कर दिया था कि वह लड़ने की स्थिति में नहीं होंगे क्योंकि उनकी पत्नी परनीत कौर पटियाला से चुनाव लड़ रही हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा उनकी पूरे राज्य में जरूरत होगी और अमृतसर से चुनाव लड़ने से वह एक लोकसभा सीट पर सीमित हो जाएंगे.
उन्होंने कहा कि उनके पास वर्तमान और पूरे राज्य की संसदीय सीटों के उम्मीदवारों की लंबी सूची है जिनका अनुरोध है कि वह उनके लिए प्रचार करें. उन्होंने कहा कि पार्टी को एक स्थानीय उम्मीदवार उतारना चाहिए, जिसे स्थानीय मुद्दों और समस्याओं की जानकारी हो.
उन्होंने कहा कि अमृतसर के लोग एक अनुपस्थित सांसद (नवजोत सिद्धू) के चलते थके और निराश हैं और वे एक अनुपस्थित सांसद के स्थान पर ऐसे ही किसी और को चुनना पसंद नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि पिछला सांसद कभी कभी नजर आ भी जाता था, लेकिन यदि अरुण जेटली चुना जाता है तो वह दिल्ली में अपने हितों और प्रतिबद्धताओं के चलते कभी नजर नहीं आएगा.