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मजदूर की जिंदगी कैसी, तीन दिन काम करता है, फिर दो दिन बीमार होता हैः राहुल गांधी

मंगलवार को कांग्रेस के चिराग राहुल गांधी राजस्थान में थे. मकसद था सत्ता के जिन्न को फिर से गहलोत के पंजे में लाने का. मगर इसी दौरान उन्होंने गरीब की सेहत पर जो ज्ञान दिया और फिर जिस तरह से बात को मर्सिडीज पर ले गए, उससे यह तय हो गया कि ये दो जुमले अब उनकी राजनीतिक समझ पर होने वाली चर्चाओं में जिक्र पाएंगे ही.

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चित्तौड़गढ़ रैली में राहुल गांधी
चित्तौड़गढ़ रैली में राहुल गांधी

मंगलवार को कांग्रेस के चिराग राहुल गांधी राजस्थान में थे. मकसद था सत्ता के जिन्न को फिर से गहलोत के पंजे में लाने का. मगर इसी दौरान उन्होंने गरीब की सेहत पर जो ज्ञान दिया और फिर जिस तरह से बात को मर्सिडीज पर ले गए, उससे यह तय हो गया कि ये दो जुमले अब उनकी राजनीतिक समझ पर होने वाली चर्चाओं में जिक्र पाएंगे ही.

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सबसे पहले पढ़ते हैं कि कांग्रेस उपाध्यक्ष क्या बोले. ये कहा उन्होंनेः ‘मजदूर की जिंदगी कैसी होती है. दो तीन दिन काम करता है. फिर दो दिन बीमार हो जाता है. फिर दवाई लेता है, फिर काम करता है.’ अब आप पूछ सकते हैं कि भला कौन सा मजदूर है, जो इतनी जल्दी-जल्दी बीमार होता है. बहरहाल, राहुल का मकसद गरीब की सेहत नहीं गहलोत सरकार की सेहत बचाने का है. उनका आगे कहना यह था कि गहलोत सरकार ने पूरे सूबे में मुफ्त दवाई बंटवाई. और जो बीजेपी इसका यह कहकर विरोध कर रही है कि ये जहर है. तो सच्चाई यह है कि उन्हें ब्रांड वाली दवाई खाने की आदत है. अब ये ब्रांड का फर्क समझाने के लिए राहुल गांधी ने चित्तौड़गढ़ की ग्रामीण जनता को बस और मर्सिडीज का फर्क समझाया. उन्होंने कहा कि जैसे कोई बड़ा आदमी होता है. वो मर्सिडीज में घूमता है. है न. फिर वो बस को देखता है और कहता है कि ये देखो ये बस में क्यों चढ़े हैं.

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कांग्रेस चाहती है गरीब बैठे हवाई जहाज पर

इसके अलावा राहुल गांधी ने अपनी स्पीच में पापा राजीव गांधी को याद किया और बताया कि कैसे उनके लाए कंप्यूटर और मोबाइल से किसानों और गरीबों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ. उन्होंने दोहराया कि बीजेपी वाले तब इसका विरोध कर रहे थे. फिर उन्होंने बीजेपी को इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात पर घेरते हुए कहा कि भइया आप तो सड़क, रेलवे लाइन और एयरपोर्ट बनाकर देश बदलने की बात करते हो. कांग्रेस कहती है कि जो हमारे गरीब लोग हैं, उनकी भी मदद करो कि एक दिन वे भी इस पर चल पाएं. गरीबों से सीधे संवाद की कोशिश में राहुल बोले कि किसान ऊपर उड़ता जहाज देखता है और अपने आप से पूछता कि कभी मेरा बेटा, उसका पोता या उसका बेटा, इस पर जा पाएगा या नहीं. राहुल बोले कि ‘ऐसा हिंदुस्तान हमें नहीं चाहिए. इसलिए हमने अधिकार की बात शुरू की. इसका क्या मतलब है. जो भी इस देश में रहता है. उसे कम से कम मदद मिलेगी.कम से कम भोजन और रोजगार मिलेगा. इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम हम करते हैं, मगर हम गरीबों का भी काम करते हैं. यही गेहलोत जी ने राजस्थान में किया. आप किसी भी मजदूर से पूछ लीजिए.’

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गरीब के सामने दीवार, वे कहते सिर से मारो ठोकर इसमें

इस दौरान राहुल गांधी ने एक दीवार का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ‘मेरी दूसरी राजनीतिक पार्टियों के लोगों से संसद में बात होती है. वे हमसे कहते हैं कि जब आप किसी को मुफ्त में भोजन और दवाई देते हो, तो वह बिगड़ जाता है. हम कहते हैं कि जो गरीबी में फंसा है, उसकी गलती नहीं, उसकी सोच में कमजोरी नहीं.उसके सामने एक दीवार है. उसे हटाने के लिए उसे मदद करने की जरूरत है. वो कहते हैं कि नहीं, ये जो गरीब के सामने दीवार है, इसको गरीब अपने आप तोड़े, सिर से जाकर ठोकर मारे और गिराए. हम कहते हैं कि हम गरीब का हाथ पकड़ेंगे और एक साथ दीवार को तोड़ेंगे.’ये तो आपने पढ़े राहुल गांधी के बोल, मगर ध्यान रखिएगा कि सिर से टक्कर मारी जाती है और पैरों से ठोकर.

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