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अमेठी से बदलाव की आशंका से बेफिक्र हैं राहुल गांधी

हाई प्रोफाइल अमेठी की सियासी फिजा में एक तरफ ‘आप’ नेता कुमार विश्वास गांव-गिरांव की गलियों की खाक छानकर जहां जनता के समर्थन का दावा कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस अमेठी में बदलाव जैसी आशंका को लेकर बेफिक्र है.

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राहुल गांधी
राहुल गांधी

हाई प्रोफाइल अमेठी की सियासी फिजा में एक तरफ ‘आप’ नेता कुमार विश्वास गांव-गिरांव की गलियों की खाक छानकर जहां जनता के समर्थन का दावा कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस अमेठी में बदलाव जैसी आशंका को लेकर बेफिक्र है. कांग्रेस की बेफिक्री का आलम यह है कि चुनाव अधिसूचना के बाद राहुल गांधी का एक भी दौरा अमेठी में नहीं हुआ है.

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राहुल गांधी के चुनाव संचालन का जिम्मा संभालने वाली उनकी बहन प्रियंका वाड्रा अभी क्षेत्र से दूर हैं. बीजेपी, बीएसपी, और सपा जैसे मुख्य विपक्षी दलों के खेमे में भी सन्नाटा पसरा है. हाई प्रोफाइल अमेठी संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार अब तक लय नहीं पकड़ सका है. सपा ने यहां पहले की तरह एक बार फिर प्रत्याशी न उतारकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को वॉकओवर दे रखा है. बीजेपी का प्रत्याशी अब तक घोषित नहीं है. कुछ स्थानीय नेताओं के नाम की चर्चा है. यह भी माना जा रहा है कि पार्टी नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से कांग्रेस के पत्ते खुलने के बाद ही बीजेपी इस पर कोई फैसला लेगी.

बीएसपी से धर्मेंद्र प्रताप सिंह जरूर मैदान में हैं लेकिन क्षेत्र में उनकी सक्रियता कम ही है. इन सबके बीच आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास 12 जनवरी को अमेठी में हुई जनसभा के बाद से क्षेत्र में जमे हैं. वे जनता के समर्थन का दावा कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस उनके दावे को लेकर बेफिक्र दिख रही है. अमेठी के आंकड़े गवाह हैं कि 1980 में संजय गांधी के सांसद बनने के बाद 1999 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो गांधी नेहरू फैमिली के खिलाफ विपक्षी दलों ने खानापूर्ति की औपचारिकता ही निभाई है.

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