छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव में कांग्रेस चुनावी अभियान में दम फूंकने पहुंचे पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दरभा घाटी में नक्सलियों द्वारा कांग्रेस नेताओं की निर्मम हत्या का इमोशनल कार्ड खेला. जनता से कहा कि आपकी आवाज को खत्म कर दिया गया. आप इस बलिदान को जाया न होनें दें.
राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत दरभा घाटी की घटना से की और इसका अंत भी नक्सली हमले में मारे गए नेता नंद कुमार पटेल की चर्चा करके की. एजेंडा साफ था. भावनाओं को वोट में तब्दील करने का.
बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा, 'यहां कांग्रेस की पूरी लीडरशिप को खत्म कर दिया गया. सभी नेताओं की निर्मम हत्या हुई. पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. हादसे के बाद विपक्ष के नेता सामने आए. बड़ी-बड़ी बातें की. कार्रवाई का वादा किया पर आज तक कुछ नहीं हुआ. क्या आपने किसी पर कार्रवाई की बात सुनी है.'
इमोशनल कार्ड खेलने के बाद राहुल गांधी ने अधिकार की बात की. उन्होंने कहा, 'बीजेपी और कांग्रेस में यही फर्क है. वो सिर्फ बड़ी-बड़ी बात करते हैं और हम आम आदमी को अधिकार देते हैं. आरटीआई, शिक्षा का अधिकार, खाद्य सुरक्षा का अधिकार और भूमि अधिग्रहण बिल सारे अहम अधिकार कांग्रेस की सरकार ने दिए.'
अधिकारों के बाद बारी आई भ्रष्टाचार की. राहुल गांधी ने बीजेपी को करप्शन का वर्ल्ड चैंपियन बताया. उन्होंने कहा, 'आज तक किसी सरकार के बारे में सुना है जहां के मुख्य सचिव ने ये कहा कि नेता भ्रष्ट है. सच तो ये है कि बीजेपी भ्रष्टाचार में विश्व चैंपियन है. केंद्र से सूबे के विकास के लिए पैसे आता है पर वो आपतक नहीं पहुंचता.'
विकास का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा, 'छत्तीसगढ़ में पैसे, जमीन और जंगल की कोई कमी नहीं है, पर विकास कहां हो रहा है. शिक्षा नहीं है, बेरोजगारी बढ़ी है. युवाओं के पास नौकरी नहीं है. वे पैसा कमाने के लिए पलायन कर रहे हैं. यहां के युवा बैंगलोर और मुंबई जाते हैं जहां कांग्रेस की सरकार है. बीजेपी सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करती है. काम कुछ भी नहीं.'
भूमि अधिग्रहण बिल का मास्टरस्ट्रोक बताते हुए उन्होंने कहा, 'मैंने सुना है कि विकास के नाम पर छत्तीसगढ़ के गरीब लोगों से 6 लाख एक्कड़ छीन ली गई. लेकिन यहां की जनता को जमीन के बदले में सही पैसा नहीं मिला इसलिए हम जमीन अधिग्रहण बिल लेकर आए. अब लोगों को उनकी जमीन के लिए सरकार बाजार दर से चार गुना ज्यादा कीमत देगी. यही नहीं, उन जमीनों पर काम कर रहे मजदूरों का भी ख्याल रखा गया है. ये है सरकार. आम आदमी की सरकार, गरीबों, दलितों और आदिवासियों की सरकार.'