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BJP नेता जसवंत सिंह को बाड़मेर से नहीं मिला टिकट, लड़ सकते हैं निर्दलीय

भोपाल से चुनाव लड़ने की लालकृष्ण आडवाणी की इच्छा पूरी नहीं करने के बाद बीजेपी ने आज उनके करीबी माने जाने वाले एक अन्य वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह को राजस्थान के बाड़मेर से टिकट देने के उनके आग्रह पर ध्यान नहीं दिया.

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जसवंत सिंह
जसवंत सिंह

भोपाल से चुनाव लड़ने की लालकृष्ण आडवाणी की इच्छा पूरी नहीं करने के बाद बीजेपी ने आज उनके करीबी माने जाने वाले एक अन्य वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह को राजस्थान के बाड़मेर से टिकट देने के उनके आग्रह पर ध्यान नहीं दिया.

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पार्टी ने सिंह की बजाय बाड़मेर से पूर्व सांसद कर्नल (अवकाशप्राप्त) सोनाराम चौधरी को टिकट देने की आज घोषणा की. इस समय पश्‍िचम बंगाल की दार्जिलिंग सीट का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे 75 वर्षीय जसवंत सिंह ने हाल में कहा था कि मैंने दार्जिलिंग के लिए काफी कुछ किया है. अपना आखिरी चुनाव मैं अपने मूल स्थान से लड़ना चाहता हूं.

सिंह का गांव जासोल बाड़मेर जिले में आता है. उनके पुत्र मानवेंद्र सिंह वहां से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं. हाल में आडवाणी ने गांधीनगर की बजाय भोपाल से चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन उन्हें गांधीनगर सीट दी गई. 24 घंटे की नाराजगी के बाद उन्होंने अंतत: पार्टी के फैसले को स्वीकार कर लिया.

पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने राजस्थान की 5 लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की आज सूची जारी की है. इनमें सोनाराम चौधरी को बाड़मेर से टिकट देने के अलावा करौली-धोलपुर (सुरक्षित) से मनोज राजोरिया, अजमेर से सांवरमल जाट और पाली से पीपी चौधरी को उम्मीदवार घोषित किया गया है.

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ऐसी अटकलें हैं कि बीजेपी की ओर से बाड़मेर से टिकट नहीं दिए जाने पर भी सिंह निर्दलीय के रूप में वहां से चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है. राजग सरकार के दौरान वित्त, रक्षा और विदेश मंत्री रह चुके सिंह द्वारा पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की प्रशंसा में लिखी गई विवादास्पद पुस्तक प्रकाशित होने के बाद से ही पार्टी और उनके बीच समस्याएं शुरू हो गई थीं.

सरदार पटेल के संबंध में पुस्तक में कुछ प्रतिकूल टिप्पणियों के चलते गुजरात में उस पुस्तक को प्रतिबंधित कर दिया गया था और बाद में उन्हें पार्टी से भी निष्कासित कर दिया गया था. सिंह 2004 से 2009 तक राज्य में नेता प्रतिपक्ष रहे और 2012 में हुए उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में राजग की ओर से उम्मीदवार बनाए गए.

वसंधुरा राजे के नेतृत्व में राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़े पैमाने पर मिली विजय से राज्य में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं और माना जा रहा है कि इसी के चलते सिंह के आग्रह के बावजूद उनकी बजाय चौधरी को बाड़मेर से उम्मीदवार बनाया गया. चौधरी बाड़मेर के बड़े जाट नेता माने जाते हैं.

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