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सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश शुरू की राजनाथ ने

अटल की विरासत के उत्तराधिकारी बनने की कोशिश कर रहे राजनाथ सिंह को समझ में आ गया है कि लखनऊ संसदीय क्षेत्र का रास्ता काफी टेढ़ा-मेढ़ा है. तभी तो दिल्ली लौटने से पहले उन्होंने सभी महत्वपूर्ण मोर्चों पर अपने विश्वसनीय लोगों की तैनाती की. अपने लोगों को कई जिम्मेदारियां सौंपी. साथ ही ब्राह्मणों की नाराजगी भांपते हुए संघ से बातचीत करके पूर्व वरिष्ठ संगठन मंत्री जयप्रकाश चतुर्वेदी को समन्वयक बनवाया.

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फाइल फोटो: राजनाथ सिंह
फाइल फोटो: राजनाथ सिंह

अटल की विरासत के उत्तराधिकारी बनने की कोशिश कर रहे राजनाथ सिंह को समझ में आ गया है कि लखनऊ संसदीय क्षेत्र का रास्ता काफी टेढ़ा-मेढ़ा है. तभी तो दिल्ली लौटने से पहले उन्होंने सभी महत्वपूर्ण मोर्चों पर अपने विश्वसनीय लोगों की तैनाती की. अपने लोगों को कई जिम्मेदारियां सौंपी. साथ ही ब्राह्मणों की नाराजगी भांपते हुए संघ से बातचीत करके पूर्व वरिष्ठ संगठन मंत्री जयप्रकाश चतुर्वेदी को समन्वयक बनवाया.

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कायस्थ वोटों को साधने के उद्देश्य से डॉ. एससी राय जैसे पुराने नेताओं से मिलकर सियासी सामाजिक समीकरणों को संतुलित करने की कोशिश की. चुनाव की जिम्मेदारी दूसरे पर डालने के बजाय पत्नी सावित्री सिंह व पुत्र पंकज सिंह को सौंपकर दिल्ली लौटे. स्थानीय सांसद लालजी टंडन और महापौर डॉ. दिनेश शर्मा के आश्वासन के बावजूद यह घोषणा भी की कि वह कोशिश करेंगे कि प्रतिदिन शाम को लखनऊ में रहेंगे.

दरअसल, तीन दिनों के लखनऊ प्रवास के दौरान राजधानी का काफी सच उनके सामने आ गया. राजनाथ के लखनऊ पहुंचने से लेकर यहां से रवाना होने तक इस बार वैसी भीड़ नहीं दिखी जैसी इससे पहले दिखती थी. उनके आवास पर भी पहले जैसा माहौल नहीं रहा. निरालानगर के माधव सभागार में हुए कार्यकर्ता सम्मेलन में कानपुर, वाराणसी, बाराबंकी, उन्नाव, रायबरेली से कार्यकर्ताओं की कम उपस्थिति से भी उन्हें चिंता हुई ही होगी. रही-सही कसर पूरी हो गई उनके दिल्ली रवाना होने से ठीक पहले आवास पर पार्टी के प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठक में, जहां मंच पर मौजूद कुछ नेताओं को लेकर कार्यकर्ताओं का गुस्सा मुखर हो गया.

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सिंह के लिए यह पहला मौका होगा, जब लखनऊ के कार्यकर्ता इस रूप में उनके सामने आए हों. भले ही राजनाथ ने इस पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी न की हो लेकिन इतना तो उनकी समझ में आ ही गया होगा कि लखनऊ का मूड उतना अच्छा है नहीं, जैसा समझ कर वह आए हैं.

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