एथेंस ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के एक दशक बाद रिटायर्ड कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ अब चुनावी ओलंपिक में निशाना साधने को तैयार हैं. राठौड़ बीजेपी के टिकट पर जयपुर रूरल सीट से मैदान में हैं. उनके सामने हैं कांग्रेस के हैवीवेट कैंडिडेट और यूपीए सरकार में मंत्री सीपी जोशी. जोशी इस लोकसभा में भीलवाड़ा सीट से सांसद थे.
इस चुनावी पारी पर राठौड़ बोले, मैं बिना लाइफ जैकेट के इस गहरे समंदर में कूद गया हूं. मैंने निशानेबाजी में काफी कुछ हासिल किया और अब राजनीति में मेरी स्थिति सेना के सेकंड लेफ्टिनेंट जैसी है. मैं आसपास के माहौल को लेकर सजग हूं और सीख रहा हूं. उन्होंने कहा, मैं अभी नर्सरी में हूं और थोड़े ही समय में मुझे ग्रेजुएट होना है. यह मेरे लिये शॉर्ट कमांडो कोर्स की तरह है और मुझे सीखने में मजा आ रहा है.
जाति का तिलस्म तोड़ना आया हूं
खबरें थी कि राठौड़ चित्तौड़ से लड़ना चाहते थे लेकिन भाजपा ने उन्हें ब्राह्मण और जाट समुदाय की बहुलता वाली जयपुर ग्रामीण सीट से उतारकर सभी को चौंका दिया. राठौड़ का मानना है कि यह अतीत और भविष्य के चुनावी युग का मुकाबला होगा. उन्होंने कहा, लोग खासकर युवा इस बार जाति के समीकरणों से ऊपर उठकर मतदान करेंगे. इस संसदीय क्षेत्र में मेरी जाति के अधिक लोग नहीं हैं, लिहाजा भाजपा ने सोच समझकर मुझे यहां से उतारा है.
जाति के आधार पर वोट मांग रही कांग्रेस
राठौड़ ने कहा, मेरे विपक्षी जोशी और मौजूदा कांग्रेस सांसद लालचंद कटारिया जाति के आधार पर लोगों को बांटने की रणनीति अपना रहे हैं. यह अतीत और भविष्य के चुनावी दौर का मुकाबला होगा और मुझे लोगों पर यकीन है. उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली सफलता का भी फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा, यह टीम का प्रयास है. हमें विधानसभा चुनाव में यहां भारी सफलता मिली और हमारे सारे विधायक काफी सक्रिय हैं.
भाजपा को चुनने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह अपने पूर्व पेशों के मद्देनजर राष्ट्रवादी दल से ही जुड़ना चाहते थे. उन्होंने कहा, मेरे पूर्व पेशे राष्ट्रवाद से जुड़े थे और राजनीति में राष्ट्रवादी दल को चुनना लाजमी था. यदि भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की आपस में तुलना करें तो भाजपा नेता कहीं बेहतर हैं. कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति ने देश का काफी आर्थिक नुकसान किया है जबकि भाजपा सशक्तिकरण में विश्वास करती है.