सुप्रीम कोर्ट ने दलितों को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी करने पर योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में दायर मामलों पर तमाम कार्यवाही पर रोक लगा दी है.
चीफ जस्टिस आरएम लोढा की पीठ ने तमाम राज्यों की पुलिस को नोटिस जारी किया जहां रामदेव के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. पीठ ने कहा, 'हम स्पष्ट कर रहे हैं कि हम मामले के गुण-दोष पर कोई राय जाहिर नहीं कर रहे हैं'. अदालत का यह आदेश रामदेव की ओर से दायर एक याचिका पर आया जिसमें उनके खिलाफ किसी दबावकारी कार्रवाई पर रोक लगाने और उनकी विवादास्पद हनीमून टिप्पणी पर देश के विभिन्न हिस्सों में दायर तमाम प्राथमिकियों को एक साथ करने का आग्रह किया गया है.
इससे पहले, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और वकील केशव मोहन ने अदालत के सामने कहा कि रामदेव के 25 अप्रैल के संवाददाता सम्मेलन की टिप्पणियों से संबंधित शिकायतों और प्राथमिकियों को एक साथ कर देना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट या तो लखनऊ या अपनी पसंद से किसी जगह पर उनकी सुनवाई कराई जाए.
रामदेव ने यह भी आग्रह किया कि अदालतों और पुलिस को योग गुरु के खिलाफ दायर प्राथमिकियों के आधार पर उनके खिलाफ कोई दबावकारी कार्रवाई करने से रोका जाए. राहुल गांधी के खिलाफ रामदेव की टिप्पणी पर अनेक पार्टियों और संगठनों ने तीखी आलोचना की थी. उन्होंने रामदेव की टिप्पणी को दलित विरोधी करार दिया था.
रामदेव के खिलाफ पहली प्राथमिकी लखनऊ के महानगर पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 171 (जी) के तहत दर्ज की गई थी. पुलिस ने रामदेव के बयान के वीडियो फुटेज का विश्लेषण के बाद यह प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसके बाद, कई अन्य राज्यों में रामदेव के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज कराई गईं.