कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पार्टी के लिए बोझ बन गए हैं. आर्थिक सामचार पत्र 'द इकोनॉमिक टाइम्स' ने यह निष्कर्ष निकाला है.
रायबरेली के लोग वाड्रा की वह शानदार मोटर साइकिल रैली को भूलते नहीं जो उन्होंने 2012 में निकाली थी. विधानसभा चुनाव में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई थी. वह रैली रायबरेली और अमेठी की सीमाओं में हुई थी और चुनाव आयोग ने उसका संज्ञान लिया था क्योंकि उसमें डेढ़ सौ साइकिल सवारों ने हिस्सा लिया था जबकि अनुमति मिली थी सिर्फ 10 को. वैसे वहां के लोगों को वह रैली इसलिए पसंद आई कि उसमें रंग बिरंगी मटोरसाइकिलें दौड़ती दिखीं.
लेकिन वाड्रा का राजनिति में प्रवेश कांग्रेस के किसी काम नहीं आया और पार्टी रायबरेली-अमेठी क्षेत्र में 10 में से सात विधानसभा सीटों पर हार गई. वाड्रा ने बेशक शानादार रैली की लेकिन पिछले साल जमीन घोटाले में नाम आने के बाद से वह वहां नहीं दिखे. एक तरह से वह पार्टी पर एक राजनीतिक बोझ बन गए. वहां पार्टी के एक सदस्य ने कहा कि वह गले का कांटा बन गए हैं जिसे ना निगला जा सकता है और ना उगला जा सकता है. कांग्रेस जो कई मुद्दों पर हमले झेल रही है, उसकी परेशानी वाड्रा ने और बढ़ा दी है.
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि हालांकि प्रियंका जी उन पर लगे आरोपों का जोरदार खंडन कर रही हैं लेकिन जमीन पर कार्यकर्ताओं को ही उनका बचाव करना होगा. अब तक तो हम 2जी और कोलगेट घोटालों के बारे में जनता को आश्वस्त करने में लगे हुए थे कि इनमें यथार्थ कम और बातें ज्यादा हैं. लेकिन वाड्रा के बारे में लोगों को क्या समझाएं. एक अन्य पार्टी सदस्य ने कहा कि बीजेपी के इस आरोप का खंडन करना मुश्किल है कि वाड्रा ने एक लाख रुपये से 300 करोड़ रुपये बनाए और वह भी बहुत कम समय में. उसने कहा कि पार्टी को तो उसे बहुत पहले ही अलग कर देना चाहिए था.
रायबरेली और अमेठी के लोग गांधी परिवार से काफी स्नेह रखते हैं लेकिन वाड्रा के बारे में वहां लोगों की राय उस तरह की नहीं है. ज्यादातर लोग उनके बारे में बातें भी नहीं करना चाहते.
एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि प्रियंका वाड्रा के बारे में कभी बातें नहीं करतीं. यह पहला मौका है कि उन्होंने उनका बचाव किया है.