राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने यह साफ कर दिया है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के गठन में उसका कोई दखल नहीं होगा.
ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि सरकार के गठन में आरएसएस की पसंद-नापसंद का खयाल जरूरी रखा जाएगा. संघ प्रवक्ता राम माधव ने औपचारिक तौर पर बयान जारी कर इस बाबत स्थिति साफ करने की कोशिश की है.
दरअसल, लोकसभा चुनाव में बीजेपी की शानदार कामयाबी के पीछे जिस संगठन की बड़ी भूमिका होने की बात की जा रही है, उसने कभी भी जीत का श्रेय बटोरने की कोशिश नहीं की. यहां तक कि आरएसएस ने कभी यह यह बात स्वीकार नहीं की है कि वह बीजेपी के फैसलों में किसी तरह का दखल देता है. संघ बस पार्टी को 'मशविरा' देने की बात कबूलता आया है.
बहरहाल, पीएम पद के लिए नरेंद्र मोदी ही आरएसएस की पहली पसंद रहे हैं. यह बात भी जगजाहिर है कि आरएसएस के स्वयंसेवकों ने इस चुनाव में बीजेपी के पक्ष में परोक्ष तौर पर अपना अहम योगदान किया.