नरेंद्र मोदी के 'मिशन 272' को पूरा करने के लिए आरएसएस ने पूरी ताकत लगा दी है, ये तो जगजाहिर ही है. लेकिन संघ की रणनीति आखिर है क्या? दरअसल, संघ के कार्यकर्ता देशभर में फैल गए हैं और इन कार्यकर्ताओं का टारगेट है 'बूथ जीतो'.
वैसे तो आरएसएस के सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में इतने काम हैं कि प्रचारकों और कार्यकर्ताओं को सांस तक लेने की फुरसत नहीं मिलती. पूरे साल के लिए सब के कार्यक्रम तय होते हैं. लेकिन इन कार्यकर्ताओं के लिए अब सब कुछ थम-सा गया है, क्योंकि इन्हें मिल गया है नया टारगेट. ये टारगेट है बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के मिशन 272+ को पूरा करना.
दरअसल मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाने से लेकर उनके मिशन को सफल बनाने में संघ का ही रोल रहा है. सरसंघचालक ने पिछले साल इलाहाबाद के कुभ में ही ऐलान कर दिया था कि जो लोगों की भावना है, वो संघ की भावना है. तभी तो पूरी स्क्रिप्ट भले ही मोदी ने लिखी हो, लेकिन विरोध के स्वर को दबाने में रोल संघ का ही रहा. अब बेंगलुरु की आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में तो मोदी को पीएम बनाने के मिशन का खाका भी तैयार हो गया और कार्यकर्ताओं की तैनाती भी हो गई. सूत्रों की मानें, तो संघ कार्यकर्ताओं का टारगेट है- ' बूथ जीतो.' तो ये रहा इसका मतलब...
1. देश के हर गांव में एक कार्यकर्ता मौजूद रहे. जहां तक संभव हो, हर बूथ स्तर तक संघ के कार्यकर्ता मौजूद रहें.
2. हर राज्य में प्रांत प्रचारकों को एक-एक ऑफलाइन टैब दिया गए हैं, जिसमें उनके राज्य के हर संसदीय क्षेत्र का ब्योरा है और हर गांव की जानकारी उनके पास है.
3. हर बूथ स्तर के आरएसएस कार्यकर्ता को इलेक्टोरल रॉल पहुंचाए गए हैं. हर कार्यकर्ता के ऊपर 200 घरों की जिम्मेदारी है और उन्हें न सिर्फ इन घरों के संपर्क में रहना है, बल्कि उन्हें घर से बूथों तक लाने का काम भी करना है.
4. प्रोफेशनलों और देश के कोने-कोने में मौजूद संघ के संवाद केन्द्रों से फीडबैक भी लगातार जमा किए जा रहे हैं.
5. 'अपने टारगेट बूथ जीतो' में संघ ने यह भी माना है कि जीते जाने वाली सीटों की पहचान की गई है और उन पर पूरा जोर लगा दिया गया है. सूत्रों की मानें, तो
--कम से कम 395 सीटों पर बीजेपी पूरा जोर लगाएगी.
--100 से ज्यादा सीटें ऐसी, जिस पर जीत पक्की.
--120-130 सीटें ऐसी हैं, जिन पर थोड़ी मेहनत से ही जीत पक्की.
--यूपी, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड से कम से कम 90 सीटें जीतने का टारगेट.
आरएसएस की दमदार रणनीति के चलते ही तो मोदी और उनकी बीजेपी को लग रहा है कि अब तो संघ का साथ है, जीत पक्की ही समझो.