दिल्ली में मतदान खत्म हुए और सब ने राहत की सांस ली. एग्जिट पोल के जैसे आंकड़े आ रहे हैं उन्हें देखने के बाद किरण बेदी 'चलो पिंड छूटा' कहती नजर आईं. चुनाव प्रचार करते-करते उनका गला बैठ गया और मतदान होते ही अमित शाह का दिल.
सतीश उपाध्याय और डॉक्टर हर्षवर्धन किसी तरह मुंह दबाए हंसी रोक पा रहे हैं. कांग्रेस के नेता नतीजों के प्रति इतने आश्वस्त हैं कि अजय माकन खुद शाम से दिल्ली की सर्दी के कम होने और टोमेटो या कॉन्टिनेंटल में कौन सा सॉस बेहतर होता है सरीखी बातें कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि उन्हें कुछ अखर नहीं रहा है. कांग्रेस के नेता अंदर से इस बात के लिए परेशान तो हैं ही कि वीकएंड पर कोई ढंग का सीरियल नहीं आ रहा.
आम आदमी पार्टी के समर्थकों में इतना उत्साह है कि अभी से पटाखे खरीद कर रख लिए हैं. ये पूछने पर कि कहीं अगर चुनाव नहीं जीते तो? जवाब आया इंडिया-पाकिस्तान के मैच के बाद काम आ जाएंगे. आतिशबाजी का इंतजाम कांग्रेस ने भी कर रखा है, लेकिन उनका इरादा चुनावी कार्यालय फूंकने का लगता है. कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की मानें तो चुनाव में तो काम आता नहीं, जाती सर्दी में अलाव तापने के ही काम आ जाए तो बेहतर.
दिल्ली चुनाव सिर्फ चुनाव नहीं थे और इनके नतीजे सिर्फ परिणाम नहीं एक संदेश लेकर आएंगे. ये संदेश कार्यकर्ताओं के लिए होगा, अगर बीजेपी जीती तो अब भी देश में मोदी की लहर है. अगर आम आदमी पार्टी जीती तो सच में उनके 49 दिन के काम में दम था और अगर कांग्रेस जीती तो उनके कार्यकर्ता समझ जाएंगे पक्का ईवीएम ही खराब रही होगी.
चलते-चलते, दिल्ली के चुनावों में जमकर राजनैतिक हुए लोगों को खालीपन का अहसास होने ही वाला था कि जीतनराम मांझी ने राजनीतिक गलियारों में मौज ला दी. नीतीश कुमार पर एक ही दिन में इतनी कहावतें सटीक बैठ रही हैं कि उन्हें भी लिखा जाए तो एक उपन्यास बन जाए.