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व्यंग्य: चुनाव के साइड इफेक्ट, ऑटोवाले ने बीच रास्ते में उतारा, बीवी ने नहीं दिया खान

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और टीवी डिबेट से होते हुए दिल्ली की राजनीति ने आम आदमी की जिंदगी पर असर डालना शुरू कर दिया है. दिल्ली मे आजकल सिर्फ दो तरह के लोग बचे हैं पहले नेता और दूसरे समर्थक. आलम ये है कि दिल्ली में बीच सड़क पर अगर जोर-जोर की आवाजें सुनाई दे जाएं तो लोग समझ जाते हैं झगड़ा गाड़ी ठुकने का नहीं है, बल्कि राजनैतिक मुंहजोरी चालू है.

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Kiran Bedi vs Arvind Kejriwal
Kiran Bedi vs Arvind Kejriwal

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और टीवी डिबेट से होते हुए दिल्ली की राजनीति ने आम आदमी की जिंदगी पर असर डालना शुरू कर दिया है. दिल्ली मे आजकल सिर्फ दो तरह के लोग बचे हैं पहले नेता और दूसरे समर्थक. आलम ये है कि दिल्ली में बीच सड़क पर अगर जोर-जोर की आवाजें सुनाई दे जाएं तो लोग समझ जाते हैं झगड़ा गाड़ी ठुकने का नहीं है, बल्कि राजनैतिक मुंहजोरी चालू है.

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जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं हालात और बिगड़ते नजर आ रहे हैं. लोग राजनीति के अलावा कुछ और सुनने को तैयार नहीं हैं. अगर आपकी बात घूम-फिरकर 'केजरीवाल या किरण में किसकी सरकार बनेगी' वाली बहस तक नहीं आती तो लोग आपसे बात करने में रूचि नहीं दिखाएंगे.

ऐसा ही कुछ हुआ रमेश के साथ. पहली बार दिल्ली आया रमेश दिल्ली के माहौल से परिचित नहीं था. हज़रत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से बाहर निकलकर उसने नोएडा सेक्टर 52 के लिए जो ऑटो पकड़ा दुर्भाग्य से वो ऑटोवाला केजरीवाल का समर्थक था. रमेश को कहां पता था रास्ता काटने के लिए उसने मोदी की प्रशंसा में जो दो बातें कह दी थीं वही उसके लिए मुसीबत साबित होंगी. आधे रास्ते तक पहुंचते-पहुंचते ऑटोवाला बीजेपी की प्रशंसा से इतना भड़क चुका था कि बजाय सेक्टर 52 तक पहुंचाने के सेक्टर 37 पर ही रमेश को उतार दिया.

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चुनावों का असर लोगों के आपसी रिश्तों पर भी पड़ता दिख रहा है. श्रीमान सुनील जन्मना कांग्रेसी रहे जबकि अरेंज मैरिज से आई उनकी पत्नी खांटी दक्षिणपंथी हैं. घर पर आए दिन बहस होती रहती है और अक्सर सुनील जी को भूखा सोना पड़ रहा है. बहस में जिस दिन सुनील जी हावी रहते हैं उस रोज सब्जी जली मिलती है और जिस दिन श्रीमती सुनील जीत जाती हैं तब रोटियों पर घी अधिक मिलता है. लेकिन सबकी किस्मत सुनील जी जैसी नहीं होती. बेटी की सगाई तक पहुंच चुकी, रिश्ते की बात शर्मा जी ने बस ये जानने के बाद ख़त्म कर दी कि लड़के वाले किरण बेदी को पसंद नहीं करते. बकौल शर्मा जी वो नहीं चाहते हैं कि उनकी बेटी ऐसे घर जाए जहां के लोग भाजपा समर्थक नहीं है.

रोहन 6 महीने पहले रिया से फेसबुक पर मिला. पिछले चार महीने से वो फोन पर बातें कर रहे थे इस वैलेंटाइन्स डे रोहन उसे प्रपोज करने ही वाला था कि अचानक उसे रिया की टाइमलाइन पर 'आई सपोर्ट केजरीवाल' का अपडेट नजर आया. कभी राजनैतिक बातें न करने वाले रोहन और रिया का रिश्ता बस एक हैशटैग के चलते ख़त्म गया. ये समस्या लगभग हर तरफ बढ़ रही है. मकान मालिकों ने अचानक किराएदारों की राजनैतिक राय जानकर किराए बढ़ा दिए हैं. किराना दुकानवाले विरोधी दलों के समर्थकों से शक्कर के दाम तक पांच रुपए बढ़ाकर वसूल रहे हैं. अब इंतजार सिर्फ चुनावों के ख़त्म होने का है ताकि एक बार फिर आम जिंदगी में आम लोग बोलते-डोलते नजर आ सके.

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