जम्मू कश्मीर में बाढ़ के बाद राहत और पुर्नवास कार्यों को निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने वहां आदर्श आचार संहिता में ढील देने की हिमायत की है. इस राज्य की विधानसभा के लिये 25 नवंबर से पांच चरणों में मतदान होगा.
चीफ जस्टिस एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने निर्वाचन आयोग से इस मसले पर जवाब मांगा है. कोर्ट ने सवाल किया कि बाढ़ से प्रभावित इस राज्य की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर, जहां जनजीवन कथित रूप से सामान्य नहीं हुआ है, चुनाव स्थगित करने के लिये राजनीतिक दलों ने निर्वाचन आयोग से अनुरोध क्यों नहीं किया.
इससे पहले, जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के नेता भीम सिंह ने राज्य में बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यो में आचार संहिता के बाधक बनने की ओर कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने कहा कि इस विभीषिका को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए.
इस पर न्यायाधीशों ने कहा, ‘चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है. इसलिए अब हमारे हाथ बंधे हुए हैं. सभी दलों को निर्वाचन आयोग से चुनाव स्थगित करने के लिये अनुरोध करना चाहिए था. आप कह सकते थे कि जनता अभी भी प्रभावित है और चुनाव टाले जाएं.’ न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम निर्वाचन आयोग से कहेंगे कि राहत सामग्री के वितरण के लिये आचार संहिता में ढील दी जाये.’
साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि इस मामले में निर्वाचन आयोग को भी पक्षकार बनाया जाये. कोर्ट ने बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति के बारे में शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति की रिपोर्ट के अवलोकन के बाद राज्य में इस समय चल रहे राहत और पुनर्वास कार्य की प्रगति पर भी सवाल उठाये.
(इनपुट भाषा से)