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शीला दीक्षित ने दिए आप से तालमेल के संकेत, केजरीवाल बोले- ना बाबा ना

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित ने तालमेल को लेकर नया शिगूफा छेड़ दिया है. ये पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस आम आदमी पार्टी से तालमेल कर सकती है, उन्होंने इस बात के संकेत दिए कि चुनाव बाद कुछ भी संभव है.

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विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित ने तालमेल को लेकर नया शिगूफा छेड़ दिया है. ये पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस आम आदमी पार्टी से तालमेल कर सकती है, उन्होंने इस बात के संकेत दिए कि चुनाव बाद कुछ भी संभव है. चुनाव बाद केजरीवाल की पार्टी से गठबंधन का संकेत देने के हालांकि बाद में शीला दीक्षित ने यू टर्न लेते हुए कहा कि कांग्रेस अपने दम पर ही दिल्‍ली में फिर सरकार बनाएगी और पार्टी को किसी गठबंधन की जरुरत नहीं है.

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उधर आम आदमी पार्टी ने चुनाव बाद त्रिशंकु विधानसभा होने पर कांग्रेस या बीजेपी से किसी भी तालमेल की संभावना से इनकार किया है. 'आप' के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस बाबत ट्वीट किया है कि लगता है कि शीला दीक्षित अपनी हार मान चुकी हैं.

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गुरुवार को शीला दीक्षित के निवास पर आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में पहले तो शीला दीक्षित बहुमत मिलने का दावा करती नजर जरूर आईं, लेकिन चुनाव बाद आम आदमी पार्टी से तालमेल के बारे में पूछे जाने पर उन्‍होंने गोलमोल जबाव देकर पल्ला झाड़ लिया और कहा कि वह कोई भविष्‍यवाणी नहीं कर सकतीं.

दूसरी ओर, शीला दीक्षित के बयान पर अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट में कहा है, 'शीला जी का बयान जाहिर करता है कि कांग्रेस ने हार मान ली है. शीला कहती हैं कि उनके दरवाजे सबके लिए खुले हैं. ऐसा है तो कांग्रेस और बीजेपी गठबंधन कर ले. किसी भी हालात में हम बीजेपी या कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं करेंगे.'

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गौरतलब है कि कई चुनावी सर्वे में बीजेपी को बहुमत मिलने की संभावना जताई गई है. इससे शीला दीक्षित के लंबे राजनीतिक करियर पर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं. लेकिन शीला दीक्षित ने इन दावों को सिरे से खारिज किया है. वहीं, बीजेपी नेता विजय जॉली के नेतृत्व में तहलका की पूर्व मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी के घर के बाहर हंगामा करने की घटना की कांग्रेस ने जमकर निंदा की है.

इस दौरान सिखों के एक ग्रुप ने कांग्रेस में शामिल होने का भी एलान किया. इसके अलावा मेवाती मुसलमानों के एक समूह ने भी कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया. जाहिर है बहुमत नहीं मिलने पर कांग्रेस को इन सभी छोटे-मोटे दलों की जरूरत पड़ सकती है.

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