शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने साफ कर दिया है कि बीजेपी से उनकी पार्टी का गठबंधन नहीं टूटेगा. पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में छपे अपने संपादकीय में उद्धव ने बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की तारीफ की है तो मनसे प्रमुख राज ठाकरे के मोदी को समर्थन पर चुटकी भी ली है. राज से बीजेपी की नजदीकियां उद्धव को फूटी आंख भी नहीं सुहा रही.
'सामना' में उद्धव ने लिखा है कि इस वक्त मोदी को समर्थन देने के लिए घुड़दौड़ मची है. पहले जिन लोगों ने मोदी की आलोचना की थी वो अब बिना निमंत्रण के उन्हें पूरा समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं. लेकिन कोई भी ऐसा माई का लाल नहीं जो शिव सेना के रास्ते में खड़ा हो जाए.
लिखते हैं, 'ऐसा लग रहा है कि हर कोई इस बात से चिंतित है कि लोकसभा चुनाव में शिवसेना का क्या होगा? क्या शिवसेना और बीजेपी एक साथ रह पाएंगे? मैं ऐसी चिंता करने वाले लोगों को बता देना चाहता हूं कि देश की राजनीति में शिवसेना और बीजेपी सबसे पुराने दोस्तों में से हैं.' हम हिंदुत्व की वजह से एक साथ हैं. कई मसलों के बाद भी हमारा गठबंधन बरकरार है. हिंदू वोटों को बांटने के लिए कई लोगों ने इस गठबंधन को तोड़ने की कोशिश की. सेंधमारों ने कई कोशिशें की. लेकिन, इन सभी के बावजूद गठबंधन मजबूती से खड़ा है. ऐसे में हमें चिंता करने की क्या बात है.
उद्धव ने कहा है कि शिवसेना ने कभी 'मुंह में राम, बगल में छुरी' की राजनीति नहीं की है. अगर किसी ने शिवसेना के खिलाफ साजिश करने की कोशिश की तो पार्टी ने पूरे दमखम से इसका सामना किया. कुछ लोग कन्फ्यूजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हमें इस बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं.
उद्धव ने लिखा है, 'माहौल बदल रहा है. अमेरिका जैसे देश ने मोदी को वीजा देने से इनकार कर दिया था लेकिन आगे आपको यह देखकर हैरानी नहीं होनी चाहिए कि ओबामा दिल्ली आएंगे और मोदी को वीजा देंगे. यही नहीं, वो (ओबामा मोदी को अपना समर्थन भी करेंगे. इसे कहते हैं उगते सूरज को सलाम करना.'
इस बीच, उद्धव ने आज पार्टी की आपात बैठक बुलाई है. शिवसेना भवन में होने वाली पार्टी की इस बैठक में तमाम उम्मीदवारों और तमाम पदाधिकारियों को बुलाया गया है. राज ठाकरे के नरेंद्र मोदी को समर्थन के ऐलान के बाद शिवसेना की इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है. बैठक में सियासत के बदले समीकरणों को साधने और आम चुनावों को लेकर रणनीति बनाई जाएगी.
गौरतलब है कि बीते रविवार को राज ठाकरे ने मोदी को समर्थन देने का ऐलान किया था. उस वक्त लगा कि शिवसेना और बीजेपी की दशकों पुरानी दोस्ती में जैसे गांठ सी पड़ने लगी है. जिस राज ठाकरे से मुलाकात भर पर उद्धव बिफर पड़ते थे, गडकरी के गणित ने बिना किसी गठबंधन के उसी राज को मोदी के खांचे में फिट कर दिया.