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गठबंधन पर सस्पेंस, राजनाथ से मिले बिना सुबह ही मुंबई लौटे उद्धव ठाकरे के दो दूत

बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन होगा या नहीं, इसे लेकर सस्पेंस गहरा गया है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने जिन दो दूतों को बीजेपी से बातचीत के लिए दिल्ली भेजा था, वे राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा से मिले बिना बुधवार सुबह मुंबई लौट गए.

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अमित शाह और उद्धव ठाकरे
अमित शाह और उद्धव ठाकरे

बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन होगा या नहीं, इसे लेकर सस्पेंस गहरा गया है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने जिन दो दूतों को बीजेपी से बातचीत के लिए दिल्ली भेजा था, वे राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा से मिले बिना बुधवार सुबह मुंबई लौट गए. शिवसेना ने मांगा डिप्टी CM का पद

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आपको बता दें कि आगामी सरकार पर बातचीत करने के लिए शिवसेना ने अनिल देसाई और सुभाष देसाई को कमान सौंपी है. दोनों नेता मंगलवार को ही दिल्ली आए थे. ये दोनों राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा से बुधवार को मिलने वाले थे, लेकिन वे मुलाकात किए बिना मुंबई लौट गए. ऐसा क्यों हुआ, यह अभी साफ नहीं हो सका है.

सूत्र बताते हैं कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच पर्दे के पीछे भी बातचीत हो रही है. ऐसे में शिवसेना के इन नेताओं को कोई संदेश उद्धव तक पहुंचाना होगा, इस वजह से वे वापस लौट गए. जानकार बताते हैं कि अभी बीजेपी विधायक दल का नेता भी नहीं चुना गया है, ऐसे में सरकार बनाने के फॉर्मूले और मंत्रालय के बंटवारे को लेकर कोई भी बातचीत बेमानी है.

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बीजेपी का प्लान
बीजेपी सूत्र बताते हैं कि पार्टी शिवसेना और उद्धव ठाकरे पर दबाव बनाए रखना चाहती है ताकि वे अपनी उम्मीदों को कम करें. बीजेपी को लगता है कि सत्ता में भागीदारी को लेकर उद्धव पर शिवसेना कार्यकर्ताओं का जबरदस्त दबाव है. बीजेपी ने मध्यस्थता करने वाले अपनी पार्टी के नेताओं को सलाह दी है कि वे विन्रम रहें लेकिन अनुचित मांगों के सामने बिल्कुल ना झुकें. अगर शिवसेना से गठबंधन नहीं हो पाता है तो पार्टी महाराष्ट्र में अल्पसंख्यक सरकार चलाने को तैयार है, जिसे निर्दलीय और बाहर से एनसीपी का समर्थन प्राप्त रहेगा. बीजेपी आलाकमान को लगता है कि शरद पवार का बाहर से समर्थन देने के ऐलान एक राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक है, इस फैसले ने शिवसेना की सौदेबाजी की ताकत को कम कर दी.

शिवसेना की मांग
सूत्र बताते हैं कि शिवसेना चाहती है कि सरकार 1995 के गठबंधन के उस फॉर्मूले पर ही बने, जिसके मुताबिक बड़े दल का मुख्यमंत्री और छोटे दल का उप मुख्यमंत्री बनना तय किया गया था. साथ ही गृह, वित्त, सिंचाई, पीडब्‍ल्‍यूडी और ग्रामीण विकास जैसे मंत्रालय भी शिवसेना के खाते में आने की बात थी. लेकिन अब के हालात में शिवसेना की कितनी बात मानी जाएगी, इसका संकेत भी ओम माथुर दे चुके हैं. उन्होंने कहा था, '1995 का फॉर्मूला दिया गया था तो ना हम थे और ना उद्धव. समझदार वर्तमान स्थिति को ध्यान रखता है.'

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