आम आदमी पार्टी (AAP) ने देश की राजधानी दिल्ली को कई साधारण पृष्ठभूमि के विधायक दिए हैं. दिल्ली विधानसभा में इस बार एक 'पंक्चर वाले' के बेटे ने भी जगह बनाई है. जंगपुरा से चुने गए AAP विधायक प्रवीण कुमार के पिता पेशे से पंक्चर बनाने और टायर रिमोल्ड करने का काम करते हैं.
दिल्ली को मिली नौजवान और कम अमीर विधानसभा
30 साल के प्रवीण मूल रूप से मध्य प्रदेश के बैतूल के एक छोटे से कस्बे आठनेर के रहने वाले हैं. उनके पिता भोपाल में पंक्चर टायर रिमोल्ड करने का काम करते हैं. उनकी जीत का जश्न दिल्ली के जंगपुरा के साथ-साथ बैतूल के आठनेर में भी मनाया गया.
जैसे ही प्रवीण की जीत का ऐलान हुआ लोगो की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और मिठाई और आतिशबाजी का सिलसिला शुरू हो गया. आठनेर में अब उनके दादा बोदरया देशमुख ही रहते हैं. चुनाव नतीजे आते ही लोगों ने घर पहुंचकर उन्हें पोते की जीत की बधाई दी.
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रवीण बचपन से ही प्रतिभाशाली थे. आठनेर में पढ़ाई के बाद वह भोपाल गए और वहां के टीआईटी कालेज बीएससी के बाद एमबीए किया. बेटे की पढ़ाई चलती रहे, इसलिए उनके पिता पंढरीनाथ देशमुख भी भोपाल आ गए और यहां पंक्चर बनाने और टायर रिमोल्ड का काम करके प्रवीण को अच्छी शिक्षा दिलाई.
पढ़ाई के बाद प्रवीण को दिल्ली की एक मल्टीनेशनल कंपनी में करीब 50 हजार रुपये महीने की नौकरी मिल गई. लेकिन फिर अन्ना के आंदोलन से वह इतने प्रभावित हुए कि नौकरी छोड़कर उसमें शामिल हो गए. आंदोलन खत्म हुआ तो वह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ जुड़े. पिछली AAP सरकार में वह शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) थे. इस दौरान उन्होंने स्कूल दाखिलों में डोनेशन रोकने के लिए अहम कदम उठाए. साथ ही नर्सरी एडमिशन में डोनेशन रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर लॉन्च करने में भी उनकी अहम भूमिका रही. 300 कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने पांच दिनों के भीतर दिल्ली के 990 सरकारी स्कूलों का निरीक्षण किया.
AAP ने उन्हें दिल्ली प्रदेश का उपाध्यक्ष बनाया. चुनाव से ठीक पहले जंगपुरा से AAP के निर्वाचित विधायक एमएस धीर पाला बदलकर बीजेपी में चले गए. पार्टी के लिए लगातार संघर्ष करने का इनाम प्रवीण को मिला और पार्टी ने उन्हें जंगपुरा से धीर के मुकाबले टिकट दे दिया. जब चुनाव के नतीजे आए तो 'पंक्चर वाले' का बेटा 20 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीत चुका था.
आठनेर के लोगों का कहना है कि प्रवीण ने पूरे बैतूल का नाम दिल्ली में रोशन किया है और वह युवाओं के लिए प्रेरणा हैं.