आजम खान की पैरवी के आगे मुलायम सिंह यादव ने अपने परिवार की भी अनसुनी कर दी. संभल सीट पर रामगोपाल यादव शफीकुर्रहमान बर्क को टिकट न दिए जाने पर अड़े हुए थे. उनके साथ इकबाल महमूद और अन्य कैबिनेट मंत्री भी लगातार दबाव बना रहे थे, लेकिन आजम खां के एक इशारे के बाद सब कुछ पलट गया.
छह माह पहले इस सीट पर दिया गया जावेद का टिकट काटकर शफीकुर्रहमान बर्क को प्रत्याशी बना दिया गया. बदले घटनाक्रम के बाद संभल सीट पर नेताओं का सियासी बंटवारा नेताओं के चेहरों पर भी दिखाई दे रहा है. सभी इस मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं, वहीं बर्क खेमे में खुशियां मनाई जा रही हैं.
टिकट सियासत की खिचड़ी दरअसल उस समय पकनी शुरू हुई, जब नवंबर माह में शफीकुर्रहमान बर्क की पोती की शादी थी. समारोह में कैबिनेट मंत्री आजम खां पहुंचे थे. तब बर्क बीएसपी के सांसद थे और लोकसभा के लिए उन्हें बीएसपी का प्रत्याशी माना जा रहा था. लेकिन यहां से ही उनकी सपा में फिर शामिल होने की सुगबुगाहट शुरू हुई.
इसी बीच बीएसपी ने उनका टिकट काट दिया. सपा में उनके शामिल होने के आसार और बढ़े, तो उनके विरोधी रहे संभल के ही कैबिनेट मंत्री इकबाल महमूद सक्रिय हो गए. चूंकि यह आसार लगने लगे थे कि बर्क को टिकट मिल सकता है, इसलिए वह लखनऊ तक अपनी बात पहुंचा चुके थे कि बर्क फैक्टर से क्या-क्या दिक्कतें हो सकती हैं.
संभल सीट पर रामगोपाल यादव के कहने पर जावेद अली को पहले ही प्रत्याशी बनाया जा चुका था. इसलिए वह भी नहीं चाहते थे कि बर्क को टिकट दिया जाए. उन्होंने मुलायम सिंह से भी साफ ऐतराज जताया था. इकबाल महमूद, शाहिद मंजूर, अहमद हसन लखनऊ में जावेद के साथ मुलायम सिंह से मिले भी थे. माना जा रहा है कि कोशिश हुई कि बर्क को टिकट न दिया जाए लेकिन सारी कवायद धरी रह गई. आखिरकार आजम खां की एक हामी ने बर्क को फिर सपा का साथी बना दिया.