देश में बढ़ रहे कोरोना मामलों के बीच आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) की तैयारियां भी चल रही हैं. ऐसे में निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन (Election commission guidelines) और उस पर अमल और सख्त होगा. इसको लेकर चुनाव आयोग ने मंगलवार को अधिकारियों के साथ विशेष बैठक की. यानी आने वाले चुनावों में पुराने चुनावी रंग नहीं नजर आएंगे, ये तो तय है. बता दें कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर व पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं.
पिछले दो सालों में हुए बिहार सहित कुछ राज्यों के चुनाव और फिर बंगाल, तमिलनाडु वाले चुनावों के दौरान गाइडलाइन तो जारी हुई, लेकिन उस पर अमल को लेकर सभी उदासीन रहे. राजनीतिक दल, नेता, जनता और खुद निर्वाचन आयोग भी. आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग में इस बात पर भी विचार किया गया कि राजनीतिक दलों, मतदाताओं और उम्मीदवारों के लिए या फिर मतदान अधिकारियों की टीम के लिए सभी पर सख्त निगरानी रखने और जरा सी भी लापरवाही पर तुरंत एक्शन लिया जाए.
पहले आ चुकीं दो गाइडलाइन, तब यह थे नियम
सबसे पहले 2020 में बिहार चुनाव के समय आयोग की पहली गाइडलाइन आई. फिर 2021 में बंगाल चुनाव के समय दूसरी गाइडलाइन आई. ये दो गाइडलाइन थीं. एक में राजनीतिक दलों, कार्यकर्ताओं, मतदाताओं और नेताओं के लिए चुनाव प्रचार प्रक्रिया का प्रोटोकॉल था. क्या करें क्या न करें का ब्योरा. दूसरी गाइडलाइन में मतदान कराने वाली टीम यानी सुरक्षा और मतदान कार्य में लगे लोग कैसे खुद को सुरक्षित रखते हुए मतदान सम्पन्न कराएं इसकी नियमावली थी.
चुनाव प्रचार के दौरान या फिर मतदान के समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क लगाने की अनिवार्यता पर सख्ती से अमल किया जाएगा. इस सिलसिले में ऑब्जर्वर्स और वीडियो ग्राफर की तादाद बढ़ाने पर भी विचार हुआ है. ये भी मुमकिन है कि बिना मास्क वाले मतदाता को किसी भी सूरत में बूथ के अंदर घुसने ही न दिया जाए.
चुनाव प्रचार की अवधि की जा सकती है न्यूनतम
चुनाव आयोग चुनाव प्रचार की अवधि भी न्यूनतम करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है. इस बार मुमकिन है कि चुनाव प्रचार की अवधि को 22 से 25 दिन तक सीमित किया जा सकता है. इसके अलावा चुनाव प्रचार में लोगों की संख्या भी सीमित की जा सकती है. लापरवाही करने वाले को आचार संहिता के उल्लंघन जैसी सजा दी जा सकती है.
बढ़ाई जाएगी मतदान बूथों की संख्या
आयोग अपनी सख्ती और पाबंदियों के बाबत जनता में जबरदस्त और प्रभावी प्रचार कराने पर भी विचार कर रहा है. इसके अलावा बिहार और बंगाल वाले चुनावों के दौर से सबक लेते हुए आयोग ने कई कदम उठाने की घोषणा भी कर दी है. मसलन मतदान बूथों की संख्या बढ़ाई जाएगी और हर बूथ पर मतदाताओं की संख्या घटाई जाएगी.आयोग के उच्च अधिकारियों का साफ मानना है कि लापरवाही लोग करें और कोर्ट के गुस्से का शिकार और निशाने पर आयोग आए, ये कतई उचित नहीं. आयोग चुनाव तो कराएगा, लेकिन पूरी सख्ती के साथ.
सार्वजनिक रैली पर फैसला राज्य सरकार करे: केंद्रीय मंत्री
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए हमने चार महीने पहले तैयारी कर ली है. उन्होंने कहा कि हमने ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाई है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक रैलियों के आयोजन को लेकर फैसला राज्य सरकार पर छोड़ दिया गया है. हम सिर्फ एडवाइजरी जारी करते हैं. अब ऐसे में रैली के आयोजन का फैसला राज्य सरकार पर छोड़ दिया गया है.