चुनाव प्रचार खत्म होते ही नीतीश कुमार का दर्द जुबां पर आ गया, हालांकि आने वाली राजनीति स्वरूप पर उन्होंने 16 मई तक इंतजार की बात कही.
चुनाव प्रचार में हुई जुमलेबाजी,निजी आरोप-प्रत्यारोप,गलत शब्दों के इस्तेमाल,जानबूझकर मर्यादा उल्लंघन का हवाला देकर नीतीश कुमार काफी दुखी दिखे.
नीतीश ने कहा कि अपने राजनीति जीवन में उन्होंने ऐसा नकारात्मक चुनाव कभी नही देखा, जिसमें शब्दों की मर्यादा तार-तार हुई हुई हो. निजी हमले हुए हों. बेतरतीब जुमलेबाजी की गई हो और जानबूझकर जाति और सांप्रदायिक कार्ड इतने भद्दे तरीके से खेला गया हो.
नीतीश कुमार ने कहा, 'यह चुनाव इसके लिए भी याद किया जाएगा कि क्योंकि पानी की तरह पैसा कभी पहले नहीं बहाया गया जैसा बीजेपी ने इस चुनाव मे किया.'
नीतीश यहीं नही रुके. उन्होंने चुनाव आयोग के चुनाव कराने के तरीके पर भी सवाल उठाया. नीतीश ने कहा कि हर चुनाव पिछले चुनाव से लंबा होता जा रहा है. उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग एक दिन में पूरे देश में चुनाव कराए.