महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का बीजेपी के प्रति रवैया नरम दिखने लगा है. पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में छपे संपादकीय में ठाकरे ने कहा कि अब न तो विवाद चाहिए और न ही कटुता. हालांकि, उद्धव बीजेपी के रवैये से आहत हैं. उन्होंने कहा कि मन टूट हुए हैं. अब उन्हें जोड़ना कठिन है परंतु अब महाराष्ट्र में स्थिरता और शांति की आवश्यकता है. बीजेपी रखेगी शर्त, PM को चायवाला कहने पर माफी मांगें उद्धव!
इस संपादकीय में शिवसेना ने एग्जिट पोल को भी आड़े हाथों लिया है. उद्धव ने लिखा है कि पोल का खेल लोगों को मूर्ख बनाने का धंधा है. ये एग्जिट पोल वाले 2000-5000 लोगों की राय के दम पर पूरी महाराष्ट्र की सोच बताने का दावा कैसे कर सकते हैं? सर्वे पर बीजेपी की खुशी पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि जिन्हें सट्टा प्रिय होता है उनको बट्टा जरूर लगता है.
न तो विवाद चाहिए और न ही कटुता
उद्धव ने लिखा है, 'वैसे तो महाराष्ट्र प्रज्वलित नहीं होता. एक बार वह भभक उठा तो फिर बुझता नहीं. स्वाभिमान की आग फिलहाल प्रज्वलित है. ऐसे में जो इस आग से खेलने का प्रताप करेगा, उस महाराष्ट्र द्रोही को उसका भुगतान भी करना होगा. महाराष्ट्र का जनमानस क्या है? यह समझने के बाद देश का समग्र केंद्रीय मंत्रिमंडल कामधाम छोड़कर राज्य में तंबू ठोंककर बैठ गया था. हमारे लोकतंत्र में यह सब भी हुआ करता है. यदि केंद्र में कांग्रेस की सरकार होती और तब किसी राज्य में कांग्रेसियों ने केंद्रीय मंत्रिमंडल को इस अंदाज में चुनाव मैदान में उतारा होता तो टीका-टिप्पणियों का कोहराम मच जाता. वैसे हम भी इस बात को बेहद गंभीरता से लेना नहीं चाहते. जो तल तक पहुंचेगा वही पानी चखेगा यही लोकतांत्रिक सत्ता संचालन का नियम है. इसी के चलते यह सारा मधुर संगीत हुआ. अब न तो विवाद चाहिए और न ही कटुता. मन टूट हुए हैं. अब उन्हें जोड़ना कठिन है परंतु अब महाराष्ट्र में स्थिरता और शांति की आवश्यकता है. उसके लिए चुनाव परिणामों के दिन की प्रतीक्षा करना बेहतर रहेगा.'
जिन्हें सट्टा प्रिय होता है उनको बट्टा जरूर लगताः शिवसेना
उद्धव ठाकरे ने कहा, 'बिरयानी और शराब की बोतल पर लोकतंत्र का भविष्य तय हो रहा है. रिश्वत के बल पर जीते गए चुनाव को जीतकर लोकतंत्र का डंका बजाया जाता है. नई सरकार आती है तो नए गुल्ली-डंडे से नए सिरे से खेल रचाया जाता है. 19 को जो मतदान हुआ, उससे हमारी अपेक्षा तो यही है कि इस तरह का खेल सदा-सर्वदा के लिए बंद हो जाए. महाराष्ट्र को एक दृढ़ और विकासशाली सरकार प्राप्त हो. जन संवेदनाओं के प्रति समर्पित सत्ताधीश महाराष्ट्र का संचालन करें.'
शिवसेना प्रमुख ने लिखा है, 'सट्टा बाजार क्या कहता है और तुम्हारे वे पोल वाले कौन से आंकड़े दिखा रहे हैं, इस सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि लोगों ने जो जनादेश दिया है, उसे पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से बाहर आने दो. असली चुनाव परिणाम के लिए रुके तो फिर वे लोग पोल वाले कैसे कहलाएंगे? दो-पांच हजार लोगों से बातचीत कर उनके मत जनाकर महराष्ट्र का जनादेश जाहिर करना एक प्रकार से जनभावना का अनादर है. किंतु उनकी भी पापी पेट का सवाल है. खाली पेट पर थाप मारकर जनता से थापा (डींग) मारने का धंधा यह मंडली पूरी ईमानदारी से करती है. इस बार भी कुछ वैसा ही हुआ. उनका यह धंधा उनको मुबारक हो. हमारा विश्वास जनता पर है. 19 तारीख को महाराष्ट्र राज्य में भगवा की विजय की शंख ध्वनि होगी ही होगी. आज आंकड़े देने वाले सटोरिए कंगाल होकर सड़कों पर भिखारियों की तरह घूमेंगे. जिन्हें सट्टा प्रिय होता है उनको बट्टा जरूर लगता है. सट्टे और बट्टे के इस अंतर्संबंध को समझ लेना जरूरी है.'