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वाराणसी: 'मोदी चाय' के बाद अब 'समाजवादी पान', बीजेपी और सपा कार्यकर्ता आमने-सामने

काशी की शान कहा जाने वाला बनारसी पान इन दिनों राजनीति का मुद्दा बन गया है और इस बाबत सपा व बीजेपी कार्यकर्ता आमने-सामने हैं. वाराणसी में नरेंद्र मोदी की 'चाय वाले' की छवि को टक्‍कर देने के लिए सपा उम्मीदवार कैलाश चौरसिया ने खुद को 'पान वाला' बताया है. यही नहीं सपा कार्यकर्ता समाजवादी पान की दुकान सजाकर चाय पर पान का रंग चढ़ाने में भी जुट गए हैं.

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नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो
नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो

काशी की शान कहा जाने वाला बनारसी पान इन दिनों राजनीति का मुद्दा बन गया है और इस बाबत सपा व बीजेपी कार्यकर्ता आमने-सामने हैं. वाराणसी में नरेंद्र मोदी की 'चाय वाले' की छवि को टक्‍कर देने के लिए सपा उम्मीदवार कैलाश चौरसिया ने खुद को 'पान वाला' बताया है. यही नहीं सपा कार्यकर्ता समाजवादी पान की दुकान सजाकर चाय पर पान का रंग चढ़ाने में भी जुट गए हैं.

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दरअसल, सपा उम्‍मीदवार कैलाश चौरसिया ने खुद को पान वाला क्या बताया उनके समर्थकों ने 'समाजवादी पान की दुकान' सजा ली. कार्यकर्ता इतने पर ही शांत नहीं हुए, उन्‍होंने पान की दुकान पर ही अड्डा जमा लिया और मोदी के विरोध में बिगुल बजाने लगे. सपा कार्यकर्ताओं के ऐसा करने पर लगे हाथ अस्सी स्थित पप्पू चाय की अड़ी पर मोदी समर्थक भी डट गए. मोदी समर्थकों ने कैलाश चौरसिया के बयान को राजनीतिक बयान बताया है.

सपा कार्यकर्ता संतोष सेठ कहते हैं, 'मोदी टी-स्टॉल नया है, जबकि समाजवादी की पान की दुकान पुरानी है. चाय और पान का कोई मेल नहीं है. चाय तो अंग्रेज छोड़कर गए हैं.' एक अन्‍य सपा कार्यकर्ता बाबू सोनकर कहते हैं कि उनके प्रत्‍याशी की पान की दुकान है, मोदी जी को एक बार पान खिला दें तो उनकी बुद्धि खुल जाएगी.

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'चौरसिया जातिवाद की राजनीति कर रहे हैं'
दूसरी ओर, मोदी समर्थकों ने भी कैलाश चौरसिया के बयान पर तल्‍ख तेवर अपना लिए हैं. समर्थकों ने पान पर होने वाली राजनीति का बहिष्कार करते हुए चौरसिया पर जाति की राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. मोदी समर्थक कौशल मिश्र कहते हैं, 'बनारस में चाय और पान बेचना सम्मान का प्रतिक है. मोदी जी ने कहा कि उनके परिवारवाले चाय बेचते हैं. कैलाश चौरसिया पान को राजनितिक मुद्दा बना रहे हैं, जो किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा.'

वाराणसी में बीजेपी प्रवक्‍ता अशोक पाण्डेय कहते हैं, 'मैंने सुना कि कैलाश जी ने खुद को पान वाला कहा है. लेकिन मैं जनता हूं कि वो पान नहीं बेचते. वे जातिवाद की राजनीति कर रहे हैं.'

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