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BJP के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी को खुश करने के लिए राजदूत नैंसी पॉवेल को बदलेगा अमेरिका

नरेंद्र मोदी को कई वर्षों तक अछूत घोषित किए रखने के बाद अब अमेरिका अपनी नीतियों में तेजी से बदलाव करने जा रहा है. पहले तो उसने अपनी राजदूत नैंसी पॉवेल को उनसे मिलने भेजा, लेकिन अब वह उनकी छुट्टी ही करने जा रहा है.

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

नरेंद्र मोदी को कई वर्षों तक अछूत घोषित किए रखने के बाद अब अमेरिका अपनी नीतियों में तेजी से बदलाव करने जा रहा है. पहले तो उसने अपनी राजदूत नैंसी पॉवेल को उनसे मिलने भेजा, लेकिन अब वह उनकी छुट्टी ही करने जा रहा है.

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अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका भारत में एक नया राजदूत बहाल करने जा रहा है ताकि वह नई सरकार के साथ मिलकर काम करे. वर्तमान राजदूत नैंसी पॉवेल की जगह एक राजनीतिज्ञ को यह महत्वपूर्ण पद दिया जा सकता है ताकि भारत से रिश्ते नए सिरे से बनाए जा सकें.

अखबार के मुताबिक भारत-अमेरिका रिश्तों को रिपेयर करने के लिए पॉवेल को हटा सकता है. दोनों ही देशों के बीच के रिश्ते बिगड़ गए हैं. इसे अमेरिका ठीक करना चाहता है, लेकिन पॉवेल को हटाने के बारे में अभी कोई तिथि तय नहीं हुई है. ऐसा समझा जाता है कि लोकसभा चुनाव के बाद यानी 16 मई के बाद अमेरिका इस बारे में कदम उठाएगा.

सबसे बड़ी बात है कि अमेरिका को यह लग रहा है कि यहां मोदी की सरकार बन जाएगी और उनके अमेरिका आने पर लगी रोक से दोनों देशों के पारस्परिक संबंधों में दरार आ जाएगी. बीजेपी के एक बड़े नेता ने अखबार को बताया कि पॉवेल को हटाया जाना लगभग तय है क्योंकि वह पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी के प्रति बहुत ठंडा रुख रखती हैं.

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समझा जाता है कि पॉवेल ने अमेरिका को मोदी पर लगे वीजा बैन को हटाने नहीं दिया जबकि अन्य पश्चिमी देशों ने यह कदम उठा लिया. उनके बारे में माना जाता है कि वह गुजरात के सीएम से मिलने में आनाकानी कर रही थीं. मोदी को लगता है कि पॉवेल यूपीए की विदेश नीति के काफी करीब हैं. वे गांधीनगर जाना नहीं चाहती थीं.

इस आरोप के जवाब में अमेरिकी सूत्रों का कहना है कि पॉवेल पर यूपीए सरकार का दबाव था कि वह मोदी से ना मिलें. अब पॉवेल को हटा देने से मोदी खेमे को शांत किया जा सकता है. एक डिप्लोमैट ने कहा कि राजनितिक उद्देश्यों के लिए किसी डिप्लोमैट की बलि चढ़ जाना उसके करियर का हिस्सा होता है. देवयानी खोबरागड़े के कपड़े उतारकर तलाशी लेने के मामले से भी दोनों देशों के रिश्तों में दरार आई है.

इस मामले में भी अगर पॉवेल चुस्ती दिखाती तो मसला हल हो सकता था लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया.

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