भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं मिलने के विरोध में देश के विभिन्न स्थानों पर पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में व्याप्त असंतोष पर सफाई देते हुए कहा कि टिकट नहीं मिलने का मतलब उपेक्षा करना नहीं है. उन्होंने कहा कि केंद्र में बीजेपी सरकार बनने पर इन असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं को कहीं ना कहीं समायोजित किया जाएगा.
लखनऊ लोकसभा सीट से बीजपी प्रत्याशी सिंह ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में टिकट नहीं मिलने से पार्टी में जगह-जगह हो रही बगावत संबंधी सवाल पर कहा कि जब किसी पार्टी की लोकप्रियता बढ़ती है तो हर क्षेत्र से प्रत्याशी बनने की इच्छा रखने वालों की संख्या भी अधिक होती है लेकिन टिकट तो किसी एक को ही मिल सकता है.
टिकट नहीं मिलने का यह मतलब नहीं है कि उस कार्यकर्ता की उपेक्षा की गई है. सिंह ने एक अन्य सवाल पर कहा कि अगर बीजेपी की सरकार बनेगी तो मोदी ही देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. इसमें कहीं पर कोई विवाद नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रत्याशी को राज्य चुनाव समिति और केंद्रीय समिति में विचार विमर्श के बाद ही टिकट मिलता है.
हमारे जिन कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं मिल पाया है. हम सरकार बनने पर उनका कहीं ना कहीं समायोजन सुनिश्चित करेंगे. बीजेपी द्वारा दूसरे दलों से आए तथा बाहरी लोगों को टिकट दिए जाने के औचित्य संबंधी सवाल पर सिंह ने कहा कि चाहे रणभूमि हो या फिर चुनाव का मैदान हो, उसमें रणनीति के साथ उतरना पड़ता है. बाहरी प्रत्याशियों का प्रतिशत बहुत कम है.
उम्मीद है कि फैसले पर पुनर्विचार करेंगे जसवंत
बीजेपी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के बागी तेवरों के बारे में पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि जसवंत जी हमारे वरिष्ठ नेता हैं. मुझे उम्मीद है कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करेंगे. बीजेपी एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसका आज तक स्पष्ट बंटवारा नहीं हुआ. सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी, मुख्य विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने बराबर नफरत पैदा करके सरकार बनाने की कोशिश की.
कांग्रेस की वजह से पैदा हुआ विश्वास का संकट
कांग्रेस द्वारा आज जारी किए गए अपने चुनावी घोषणापत्र के बारे में उन्होंने कहा कि मैंने कांग्रेस का चुनाव घोषणापत्र नहीं देखा है लेकिन मैं इतना कहना चाहता हूं कि कांग्रेस ने बहुत धोखे किए हैं. अगर उसने अपने चुनावी वादों को कुछ अंश भी पूरा किया होता तो देश की जनता के मन में नेताओं की यह छवि नहीं होती. सिंह ने कहा कि गरीबी हटाओ का नारा देकर इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं लेकिन गरीबी खत्म नहीं हुई. इसी कारण देश में विश्वास का संकट पैदा हुआ.