दिल्ली बीजेपी की अंदरूनी लड़ाई अब सड़क पर आ गई है. सीएम कौन... इस सवाल ने दिल्ली बीजेपी को हिला कर रख दिया है. विरोध जताने की शुरुआत खुद विजय गोयल ने की और सुबह सवेरे नितिन गडकरी के घर पहुंच गए.
सूत्रों के मुताबिक गोयल ने धमकी भरे अंदाज में पार्टी को आगाह किया कि साल 1998 की गलती पार्टी न दोहराए. आपको बता दें कि 1998 में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले बीजेपी ने सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित कर दिया था. पार्टी इस चुनाव में ऐसी हारी कि आज तक दिल्ली की सत्ता से दूर है.
इसके बाद गोयल के समर्थक बीजेपी मुख्यालय पर जुटने लगे. बेशक कोई खुलेआम न कहे लेकिन एजेंडा तय था. करीब दो घंटे पार्टी मुख्यालय पर विरोध जताने के बाद गोयल समर्थक प्रदेश प्रभारी नितिन गडकरी के घर जा पहुंचे.
गडकरी ने कार्यकर्ताओं को समझाया बुझाया तो बीजेपी ने ये साफ कर दिया कि इस विरोध से कुछ नहीं होने वाला. होगा वही जो बीजेपी के केंद्रीय नेता तय करेंगे.
इससे पहले, आज तक से एक्सक्लूसिव बातचीत में विजय गोयल ने कहा कि सीएम उम्मीदवारी के लिए उन्हें पार्टी के सामने शक्ति दिखाने की जरूरत नहीं. पिछले 8 महीने में किया गया शानदार काम उनके पार्टी के नेताओं को दिख रहा है.
दरअसल, डॉ. हर्षवर्धन को बीजेपी की ओर से सीएम पद का उम्मीदवार बनाए जाने की खबरों के बीच विजय गोयल ने विद्रोही रुख अख्तियार कर लिया है. उन्होंने धमकी देते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से कहा है कि यदि डॉ. हर्षवर्धन को सीएम उम्मीदवार बनाया गया, तो वे पार्टी के लिए काम करना छोड़ देंगे.